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पंचसंयोगज सान्निपातिक भाव
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प्रश्न - औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव से होने वाले भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति, औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। यह औदयिक-औपशमिकक्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥३॥
प्रश्न - औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का कैसा स्वरूप है?
उत्तर - औदयिक भाव में मनुष्य गति, क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व गृहीत है। यह औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमिकपारिणामिक निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥४॥
प्रश्न - औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक भाव निष्पन्न भंग का क्या स्वरूप है?
उत्तर - औपशमिक भाव में उपशांत कषाय, क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व, क्षायोपशमिक भाव में इन्द्रियाँ तथा पारिणामिक भाव में जीवत्व का ग्रहण है। यह औपशमिकक्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न भंग का स्वरूप है॥५॥
पंचसंयोगज सान्निपातिक भाव .. तत्थ णं जे से एक्के पंचगसंजोए से णं इमे - अत्थि णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे।
कयरे से णामे उदइय उत्समियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे? .
उदइए त्ति मणुस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइय उवसमियखइयखओवसमियपारिणामियणिप्फण्णे। सेत्तं सण्णिवाइए। सेत्तं छण्णामे।
भावार्थ - पंचसंयोग निष्पन्न सान्निपातिक भाव से केवल एक भंग बनता है, जो औदयिकऔपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक एवं पारिणामिक भाव के रूप में है।
औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक एवं पारिणामिक भावों के संयोग से निष्पन्न सान्निपातिक भंग का क्या स्वरूप है?
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