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दसनाम - अवयवनिष्पन्न नाम
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प्रकुंच, षोडशी तथा बिल्व भी इसके नाम हैं। दो पल की एक प्रसृति होती है, उसे प्रसृत भी कहा जाता है। दो प्रसृतियों की एक अंजलि होती है। कुडव, अर्ध शरावक तथा अष्टमान भी उसे कहा जाता है। दो कुडव की एक मानिका होती है। उसे शराव तथा अष्टपल भी कहा जाता है। दो शराव का एक प्रस्थ होता है अर्थात् प्रस्थ में ६४ (चौसठ्ठ) तोले होते हैं। पहले ६४ तोले का ही सेर माना जाता था, इसलिए प्रस्थ को सेर का पर्यायवाची माना जाता है। चार प्रस्थ का एक आढक होता है, उसको भाजन, कांस्यपात्र तथा चौसठ पल का होने से चतुःषष्टिपल भी कहा जाता है। ★चरकस्य मतं वैद्यैराधैर्यस्मान्मतं ततः। विहाय सर्वमानानि मागधं मानमुच्यते॥ त्रसरेणुर्बुधैः प्रोक्तस्त्रिंशता परमाणुभिः। त्रसरेणुस्तु पर्यायनाम्ना वंशी निगद्यते॥ जालान्तरगतैः सूर्यकरैर्वशी विलोक्यते। षड्वंशीभिर्मरीचिः स्यात्ताभिः षभिश्च राजिका॥ . तिसृभी राजिकाभिश्च सर्षपः प्रोच्यते बुधैः। यवोऽष्टसर्षपैः प्रोक्तो गुजा स्यात्तच्चतुष्टयम्॥ षडभिस्तु रक्तिकाभिः स्यान्माषको हेमधानको। माषैश्चतुर्भिः शाणः स्याद्धरणः स निगद्यते॥
टङ्गः स एव कथितस्तद्वयं कोल उच्चते। .. क्षुद्रको वटकश्चैव द्रक्षणः स निगद्यते॥
शरावाभ्यां भवेत्प्रस्थश्चतुः प्रस्थस्तथाऽऽडकः। भाजनं कांस्यपात्रं च चतुःषष्टिपलश्च सः॥ कोलद्वयन्तु कर्षः स्यात्स प्रोक्तः पाणिमानिका। .अक्षः पिचुः पाणितलं किश्चित्पाणिश्च तिन्दुकम्॥ विडालपदकं चैव तथा षोडशिका मता। करमध्यो हंसपदं सुवर्ण कवलग्रहः॥ उदुम्बरञ्च पर्यायैः कर्षमेव निगद्यते। स्यात्कर्षाभ्यामर्द्ध पलं शुक्तिरष्टमिका तथा॥ शुक्तिभ्याञ्च पलं ज्ञेयं मुष्टिरानं चतुर्थिका। प्रकुञ्यः षोडशी बिल्वं पलमेवात्र कीयते॥
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