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अनुयोगद्वार सूत्र
२. देवनाम से किं तं देवयाणामे?
देवयाणामे - अग्गिदेवयाहिं जाए - अग्गिए, अग्गिदिण्णे, अग्गिधम्मे, अग्गिसम्मे, अग्गिदेवे, अग्गिदासे, अग्गिसेणे, अग्गिरक्खिए। एवं सव्वणक्खत्तदेवयाणामा भाणियव्वा। एत्थं पि संगहणिगाहाओ -
अग्गि पयावइ सोमे, रुद्दो अदिती विहस्सई सप्पे। पिति भग अजम सविया, तट्ठा वाऊ य इंदग्गी॥१॥ मित्तो इंदो णिरई, आऊ विस्सो य बंभ विण्हू य। वसु वरुण अय विवद्धी, पूसे आसे जमे चेव॥२॥ सेत्तं देवयाणामे। शब्दार्थ - देवनाम का क्या स्वरूप है? (प्रत्येक नक्षत्र के अधिष्ठातृ देव के नामानुसार रखे जाने वाले नाम देवनाम हैं)
अग्नि देवाधिष्ठित नक्षत्र में उत्पन्न (शिशु का नाम) अग्निक, अग्निदत्त, अग्निधर्म, अग्निशर्म, अग्निदेव, अग्निदास, अग्निसेन तथा अग्निरक्षित आदि ऐसे ही नाम हैं।
इसी प्रकार अन्य समस्त नक्षत्रों के अधिष्ठाता देवों के नामानुसार नाम रखने की परिपाटी ज्ञातव्य है।
नक्षत्रों के अधिष्ठातृ देवों के संदर्भ में संग्राहक गाथाएँ हैं -
१. अग्नि २. प्रजापति ३. सोम ४. रुद्र ५. अदिति ६. बृहस्पति ७. सर्प ८. पितृ ६. भग १०. अर्यमा ११. सविता १२. त्वष्टा १३. वायु १४. इन्द्राग्नि १५. मित्र १६. इन्द्र १७. निऋति १८. अम्भ १६. विश्व २०. ब्रह्मा २१. विष्णु २२. वसु २३. वरुण २४. अज २५. विवर्द्धि २६. पूसा २७. अश्व २८. यम॥१,२॥ ये नक्षत्रों के अधिष्ठातृ देवों के नाम हैं।
३. कुलनाम से किं तं कुलणामे ?
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