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अनुयोगद्वार सूत्र
शब्दार्थ - जीवाण - जीवों का, अजीवाण - अजीवों का, तदुभयाण - दोनों का। भावार्थ - नाम प्रमाण निष्पन्न नाम का क्या स्वरूप है?
नाम प्रमाण निष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार है - जीव का या अजीव का अथवा जीवों का या अजीवों का अथवा जीव-अजीव-दोनों का या जीवों और अजीवों का 'प्रमाण' ऐसा जो नाम रखा जाता है, वह नाम प्रमाण निष्पन्न नाम कहा जाता है।
यह नाम प्रमाण का निरूपण है।
विवेचन - संसार में जितने भी पदार्थ हैं, उनकी पृथक्-पृथक् पहचान के लिए उन्हें नाम, अभिधान या संज्ञाएं दी जाती हैं। जो नाम दिए जाते हैं, उन नामों का जैसा अर्थ होता है, वे गुण उन पदार्थों में हों, यह नहीं देखा जाता है। केवल अन्यों से परिच्छेद या पार्थक्य सूचन ही वहाँ अभिप्रेत है। निक्षेपों में जो नाम निक्षेप का आशय है, वही यहाँ ग्राह्य है।
२. स्थापना प्रमाण निष्पन्ननाम से किंतं ठवणप्पमाणे १ ठवणप्पमाणे सत्तविहे पण्णत्ते। तंजहागाहा - णक्खत्त देवय कुले पासंड गणे य जीवियाहेड़ें।
आभिप्पाइयणामे ठवणाणामं तु सत्तविहं॥१॥ शब्दार्थ - णक्खत्त - नक्षत्र, पासंड - पाषण्ड (पाखण्ड), आभिप्पाइयणामे - आभिप्रायिक नाम।
भावार्थ - स्थापनाप्रमाणनिष्पन्न नाम कितने प्रकार के हैं? स्थापनाप्रमाणनिष्पन्न नाम सात प्रकार के निरूपित हुए हैं -
गाथा - १. नक्षत्र २. देव ३. कुल ४. पाषण्ड ५. गण ६. जीवित एवं ७. आभिप्रायिक नाम के रूप में इनके भेद हैं॥१॥
विवेचन - स्थापना निक्षेप की तरह स्थापना नाम में भी अभिप्राय या प्रयोजनवश तदर्थ शून्य पदार्थ में तदाकार या अतदाकार नाम है। यहाँ यह अपेक्षित नहीं है कि नामानुरूप स्थापना के आधारभूत पदार्थ में वैसी अर्थवत्ता है। यह पद्धति या उपक्रम भी परिच्छेद या पहचान हेतु है।
१. नक्षत्र नाम से किं तं णक्खत्तणामे?
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