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अनुयोगद्वार सूत्र
असंखिजइभागे होजा? संखेजेसु भागेसु होजा? असंखेजेसु भागेसु होजा? सव्वलोए होजा? ___णो संखिजइभागे होजा, णो असंखिजइभागे होज्जा, णो संखेजेसु भागेसु होजा, णो असंखेजेसु भागेसु होजा, णियमा सव्वलोए होजा। एवं दोण्णि वि।
भावार्थ - संग्रहनयानुरूप आनुपूर्वी द्रव्य लोक के कितने भाग में हैं? क्या (वे) संख्येय भाग में हैं? क्या असंख्येय भाग में है? संख्येय भागों में हैं? असंख्येय भागों में हैं (अथवा) सर्वलोक में हैं?
(संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य लोक के) संख्येय भाग, असंख्येय भाग, संख्येय भागों (या) असंख्येय भागों में नहीं हैं वरन् नियमतः समग्र लोक में हैं। अनानुपूर्वी एवं अवक्तव्य - इन द्रव्यों के संदर्भ में भी ऐसा ही समझना चाहिए।
४. स्पर्शना का वर्णन संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखेजइभागं फुसंति? असंखेजइभागं फुसंति? संखेजे भागे फुसंति? असंखेजे भागे फुसंति? सव्वलोगं फुसंति?
णो संखेजइभागं फुसंति जाव णियमा सव्वलोगं फुसंति। एवं दोण्णि वि।
भावार्थ - संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग का स्पर्श करते हैं? असंख्यात भाग का स्पर्श करते हैं? संख्यात भागों का स्पर्श करते हैं? असंख्यात भागों का स्पर्श करते हैं? (या) समस्त लोक का स्पर्श करते हैं? ____ संग्रहनय के अनुसार आनुपूर्वी द्रव्य (लोक के) संख्यात भाग का स्पर्श नहीं करते यावत् नियमतः समस्त लोक का स्पर्श करते हैं। इसी प्रकार (अनानुपूर्वी एवं अवक्तव्य) द्रव्य की भी यही स्थिति है।
५-६. काल एवं अन्तर का निरूपण संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं कालओ केवच्चिरं होंति? (णियमा) सव्वद्धा। एवं दोण्णि वि। शब्दार्थ - सव्वद्धा - सर्वकाल।
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