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अनुयोगद्वार सूत्र
संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोयरंति? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति?
संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहिंसमोयरंति, णोअणाणुपुल्वीदव्वेहिं समोयरंति, णो अवत्तव्वयदव्वेहिंसमोयरंति। एवं दोण्णि विसट्टाणे सट्ठाणे समोयरंति। सेत्तं समोयारे।
शब्दार्थ - सट्ठाणे - अपने स्थान में।
भावार्थ - संग्रहनय सम्मत समवतार का कैसा स्वरूप हैं? संग्रहनय सम्मत समवतार का वर्णन किया जा रहा है। .
संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं? क्या (वे) आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं? क्या अनानुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं? क्या अवक्तव्य द्रव्यों में समवतरित होते हैं?
संग्रहनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं। वे अनानुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित नहीं होते और न (वे) अवक्तव्य द्रव्यों में समवतरित होते हैं।
इसी प्रकार दोनों ही - अनानुपूर्वी द्रव्य एवं अवक्तव्य द्रव्य भी अपने स्थान में ही समवतरित होते हैं। यह समवतार का निरूपण है।
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अनुगम निरूपण से किं तं अणुगमे? अणुगमे अट्ठविहे पण्णत्ते। तंजहा - गाहा - संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य।
कालो य अंतरं भाग, भावे अप्पाबहुं णत्थि॥१॥ भावार्थ - अनुगम किस प्रकार का है? अनुगम आठ प्रकार का है, जो निम्नांकित गाथा में प्रतिपादित हुआ है -
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