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अनुयोगद्वार सूत्र
- आधुनिक विज्ञान का यह सिद्धान्त है - Like disolves like - समान-समान में ही घुलता है। अर्थात् समान-समान में ही समाविष्ट होता है। यहाँ विज्ञान का यह सिद्धान्त फलित होता है।
(८१)
अनुगम-निरूपण से किं तं अणुगमे? अणुगमे णवविहे पण्णत्ते। तंजहागाहा - संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य।
कालो य अंतरं भाग, भावे अप्पाबहुं चेव॥१॥ भावार्थ - अनुगम किस प्रकार का होता है? अनुगम नौ प्रकार का प्रतिपादित हुआ है। वे नौ प्रकार इस तरह हैं -
गाथा - १. सत्पदप्ररूपणा २. द्रव्यप्रमाण ३. क्षेत्र ४. स्पर्शना ५. काल ६. अंतर ७. भाग ८. भाव तथा ६. अल्प-बहुत्व।
विवेचन - नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी का अन्तिम भेद अनुगम है। प्रस्तुत सूत्र में उसके भेदों का उल्लेख है।
'अनुगम' में 'अनु' उपसर्ग और गम् धातु है। 'अनुकूलं गमनम् अनुगमः' - अनुकूल गमन या व्याख्यान विधि को अनुगम कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में यों कहा जा सकता है - सूत्र पढ़ने के अनंतर जो उसका विश्लेषण किया जाता है, उसे अनुगम कहा जाता है। अनुगम के इस सूत्र में कहे गए नौ भेदों का विवेचन इस प्रकार है -
१. सत्पदप्ररूपणा - सत् अस्तित्व का द्योतक है। विद्यमान पदार्थ को सत् कहा जाता है। तद्विषयक पद का निरूपण इसका आशय है। जैसे आनुपूर्वी आदि द्रव्य सत् पदार्थ के सूचक हैं। उनकी प्ररूपणा करना सत् तत्त्व प्ररूपणा है।
२. द्रव्य प्रमाण - आनुपूर्वी आदि पदों द्वारा जिन द्रव्यों का आख्यान किया जाता है, उनकी संख्या पर विचार करना द्रव्य प्रमाण है।
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