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अनुयोगद्वार
शब्दार्थ - सेसदव्वाणं - अवशिष्ट द्रव्यों के, कइभागे - कितने भाग, होज्जा - होने चाहिए होते हैं।
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भावार्थ - नैगम एवं व्यवहारनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के कितने-कियत् परिमित भाग हैं? क्या (वे) संख्येय भाग हैं? असंख्येय भाग हैं? क्या संख्येय भागों में हैं? क्या असंख्येय भागों में हैं?
(आनुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के) संख्यात भाग नहीं हैं, असंख्यात भाग नहीं हैं, संख्यात भागों में (भी) नहीं हैं, (किन्तु ) असंख्यात भागों में हैं।
नैगम-व्यवहारनय सम्मत अनानुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के कितने - कियत् परिमित भाग हैं? क्या संख्येय भाग हैं? क्या असंख्येय भाग हैं? क्या संख्येय भागों में हैं? क्या असंख्येय भागों में हैं? ( अनानुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के) संख्येय भाग नहीं हैं, असंख्येय भाग हैं, संख्येय भागों में नहीं हैं, असंख्येय भागों में नहीं हैं।
इसी प्रकार अवक्तव्य द्रव्य भी कथनीय हैं।
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८. भाव प्ररूपणा
गमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई कयरंमि भावे होज्जा ? किं उदइए भावे होजा? उवसमिए भावे होज्जा ? खइए भावे होज्जा ? खओवसमिए भावे होज्जा ? पारिणामिए भावे होजा? सण्णिवाइए भावे होज्जा ?
णियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा ।
अणाणुपुव्वदव्वाणि अवत्तव्वगदव्वाणि य एवं चेव भाणियव्वाणि ।
शब्दार्थ - कयरम्मि भावे - किस भाव में, उदइए - औदयिक, उवसमिए - औपशमिक, खइए - क्षायिक, खओवसमिए - क्षायोपशमिक, पारिणामिए- पारिणामिक, सण्णिवाइए सन्निपातिक, साइपारिणामिए - सादि पारिणामिक ।
भावार्थ - नैगम - व्यवहारनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य किस भाव में वर्तनशील हैं? क्या वे औदयिक भाव में, औपशमिक भाव में, क्षायिक भाव में, क्षायोपशमिक भाव में, पारिणामिक भाव में, (या) सान्निपातिक भाव में वर्तनशील होते हैं?
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