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अनुयोगद्वार सूत्र
यहाँ यह ज्ञातव्य है कि औपनिधिकी आनुपूर्वी अल्पविषयिकी है तथा अनौपनिधिकी आनुपूर्वी बहुविषयिकी है। अतएव अनौपनिधिकी को मुख्य मानते हुए उसका वर्णन पहले किया गया है।
(७४) नैगम-व्यवहारनय-सम्मतअनौपनिधिकीद्रव्यानुपूर्वी
से किं तं गमववहाराणं अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी? ..
णेगमववहाराणं अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी पंचविहा पण्णत्ता। तंजहा -- अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोयारे ४ अणुगमे ५।
भावार्थ - नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी किस प्रकार की है?
नैगम एवं व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी १. अर्थपदप्ररूपणा २. . भंगसमुत्कीर्तनता ३. भंगोपदर्शनता ४. समवतार और ५. अनुगम के रूप में पांच प्रकार की है।
(७५)
अर्थपद निरूपण से किं तं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया?
णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया-तिपएसिए आणुपुव्वी जाव दसपएसिए आणुपुव्वी, संखिज्जपएसिए आणुपुव्वी, असंखिजपएसिएआणुपुव्वी, अणंतपएसिए आणुपुव्वी, परमाणुपोग्गले अणाणुपुव्वी, दुपएसिए अवत्तव्वए, तिपएसिया आणुपुव्वीओ जाव अणंतपएसियाओ आणुपुव्वीओ, परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वीओ, दुपएसियाइं अवत्तव्वयाई।सेत्तंणेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया।
शब्दार्थ - तिपएसिए - त्रिप्रदेशिक, संखिजपएसिए - संख्येय प्रदेशिक - संख्यात प्रदेशिक; असंखिजपएसिए - असंख्यात प्रदेशिक, अणंतपएसिए - अनंत प्रदेशिक, परमाणुपोग्गले - परमाणु पुद्गल, अणाणुपुव्वी - अनानुपूर्वी, अवत्तव्वए - अवक्तव्य।
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