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अर्थपद निरूपण
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भावार्थ - नैगम एवं व्यवहार सम्मत भंग समुत्कीर्तन किस प्रकार का है?
नैगम - व्यवहार-सम्मत भंग समुत्कीर्तन १. आनुपूर्वी २. अनानुपूर्वी ३. अवक्तव्य ४. आनुपूर्वियाँ ५. अनानुपूर्वियाँ एवं ६. (अनेक ) अवक्तव्य रूप हैं। _____ अथवा १. आनुपूर्वी तथा अनानुपूर्वी अथवा २. आनुपूर्वी एवं अनानुपूर्वियाँ अथवा ३. आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वी अथवा ४. आनुपूर्वियाँ एवं अनानुपूर्वियाँ अथवा ५. आनुपूर्वी
और अवक्तव्य अथवा ६. आनुपूर्वी एवं (अनेक) अवक्तव्य अथवा ७. आनुपूर्वियाँ और अवक्तव्य अथवा ८. आनुपूर्वियाँ और (अनेक) अवक्तव्य अथवा ६. अनानुपूर्वी एवं अवक्तव्य अथवा १०. अनानुपूर्वी एवं (अनेक) अवक्तव्य अथवा ११. अनानुपूर्वियाँ एवं अवक्तव्य अथवा, १२. अनानुपूर्वियाँ और (अनेक) अवक्तव्य रूप हैं।
अथवा, १. आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य अथवा २. आनुपूर्वी अनानुपूर्वी एवं (अनेक) अवक्तव्य अथवा ३. आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियाँ तथा अवक्तव्य अथवा ४. आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी एवं (अनेक) अवक्तव्य अथवा ५. आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वियाँ तथा अवक्तव्य अथवा ६. आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वी एवं (अनेक) अवक्तव्य अथवा ७. आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वियाँ तथा अवक्तव्य अथवा (और) ८. आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वियाँ एवं (अनेक) अवक्तव्य - इस प्रकार तीनों के संयोग से ये आठ भंग बनते हैं। ये सब मिलकर छब्बीस भंग बनते हैं। यह नैगम-व्यवहार सम्मत भंगों का समुत्कीर्तन - स्वरूप है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में नैगम और व्यवहार नय सम्मत छब्बीस भंगों का निरूपण हुआ है। ये भंग आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी एवं अवक्तव्य - इन तीनों के संयोग और असंयोग की अपेक्षा से बनते हैं। जहाँ इनका असंयोग हो, वहाँ एकवचनान्त तीन और बहुवचनान्त तीन - यों दोनों को मिलाने से छह भंग होते हैं।
जहाँ इन तीनों का संयोग हो, वहाँ विकसंयोगी - दो-दो के संयोग पर आधारित भंग तीन चतुर्भगियों के रूप में निष्पन्न होते हैं। यों वे कुल बारह होते हैं।
त्रिकसंयोग में - तीनों के संयोग की स्थिति में एकवचन और बहुवचन के आधार पर आठ भंग बनते हैं।
इस भंग-विभाजन का अभिप्राय यह है कि असंयोगज छह और संयोगज बीस - इन छब्बीस भंगों में से वक्ता जिस. भंग की अपेक्षा से द्रव्य को विवक्षित - व्याख्यात करना चाहता हो, वह उस भंग के अनुसार विवक्षित पदार्थ का निरूपण कर सकता है।
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