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भावार्थ - क्षेत्रोपक्रम किस प्रकार का है?
हल, खुरपे आदि द्वारा जो खेतों को घासादि हटाकर अन्नोत्पादन के योग्य बनाया जाता है, वह क्षेत्रोपक्रम है।
अनुयोगद्वार सूत्र
विवेचन सामान्यतः क्षेत्र शब्द स्थान का द्योतक है। यहाँ वह उस भूखण्ड का सूचक है, जहाँ चावल, गेहूँ आदि अन्न उत्पन्न किए जाते हैं तथा जिसे खेत कहा जाता है। खेत में खुरपे आदि द्वारा घास आदि को पहले साफ किया जाता है, जमीन को पोला बनाया जाता है, फिर हल द्वारा इसकी जुताई होती है । यह परिकर्म क्षेत्रोपक्रम है।
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हाथी आदि खेत को रौंद डालते हैं, मल-मूत्र कर देते हैं, जिससे उसकी उर्वरता नष्ट हो जाती है। अन्नोत्पादन के योग्य नहीं रहता है, यह उसका विनाशमूलक उपक्रम है।
(६) कालोपक्रम
से किं तं कालोवक्कमे ?
कालोवक्कमे जं णं णालियाईहिं कालस्सोवक्कमणं कीरइ । सेत्तं कालोवक्कमे ।
शब्दार्थ - णालियाईहिं - नालिका आदि द्वारा, कालस्सोवक्कमणं उपक्रमण - काल का यथार्थ ज्ञान, कीरइ किया जाता है।
भावार्थ - कालोपक्रम का क्या स्वरूप है?
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नालिका आदि द्वारा जो काल का यथार्थ ज्ञान होता है, वह कालोपक्रम है।
विवेचन - प्राचीनकाल में काल के ठीक-ठीक ज्ञान के लिए नालिका आदि का प्रयोग होता था। किसी ताम्र आदि से निर्मित बर्तन के पेंदे में इतना छोटा छिद्र बना होता था, जिससे उस पात्र में भरी बालू शनैः-शनैः नीचे गिरती थी । एक घंटा में वह बालू नीचे आ जाती थी। इस प्रकार घंटे का ज्ञान होता था ।
काल का
यह काल का ज्ञान होने से परिकर्म कालोपक्रम है । नक्षत्र आदि गतिशील रहते हैं, उससे जो काल का विनाश या अपगम होता है, वह कालविनाश उपक्रम के रूप में अभिहित होता है।
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