Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सा० ने कर समाज पर महान उपकार किया है। इससे समाज आचार्य श्री का सदा ऋणी रहेगी और आचार्य श्री के स्वर्गवास बाद शास्त्रज्ञ पं० मुनि श्री. श्री कनैयालाल जी मा०सा० जो कार्य पूज्य श्री का अपूर्ण रहा था उसको पूर्ण करने का बीड़ा उठाया इससे समाज मुनिश्रीकनैयालालजी मा० का ऋणी रहेगी मुनिश्री के सदउपदेश से प्रभावित होकर सिवाना (मारवाड) निवासी सुश्राविका पानकुँवर बहन धर्म पत्नी श्रीधीगडमलजी सा० कानुगा इस सूत्रको छपवाने में अर्थ सहायक बनी
श्री पानकुँवर बैन का संक्षिप्त परिचय श्री पानांवर बहिन का जन्म सिवाना निवासी बागरेचा श्री मुलतानमलजी की भार्या बरजूबाई की कुक्षी से हुवा श्रीमुलतानमलजी धर्मप्रेमी श्रावक है । और अपनीपुत्री मे धर्मके सुसंस्कार डाले
और विवाह के पश्चात् श्रीधीगड मलजी कनुगा की मातुश्री'यारीबाई की धर्म प्ररेणा अच्छी रही इससे आप दिनो दिन धर्म मे द्रढ़ बनती रही अपने प्रतिक्रमणा थोकडे बोल चाल का काफी अध्ययन किया और अत्यंत श्रद्धावान श्राविका बनगइ आप कई प्रकार को नित्य तपश्चर्या करती रहती है सादा जीवन शांत स्वभाव आपका खास गुणहै पुण्य व सामाजीक कार्यो मे अग्रणी रहती है । महिलाओ मे धर्भध्यान बोल चाल सीखाने का प्रयत्नशील रहती है शेठ श्री कानुगाजी समाज के उत्थान के कार्यमे सदैक भाग लेतेरहते है श्रीधीगडमलजी सिवाना श्रीवर्द्धमान स्थानकवासी श्रावक संध के कोषाध्यक्ष पद पर सुशोभित हैं और समाज की सेवा कर रहे है मैं आपसे अनुरोध करता हूँ की आगे भी इसी प्रकार सामाजिक कार्यो मे भागलेते रहेगें और आप शास्त्रोद्धार समिती के आद्यमुरब्बी है आप जहाँ भी दान पुण्य का कार्य आता है अगवानी रहते हैं
निवेदेक मुलतानमल राँका
सिवाना मंन्त्री श्री अमरजैन शोध संस्थान सिवाना
શ્રી દશવૈકાલિક સૂત્રઃ ૧