Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे
द्विविधाः - द्विप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः कथिताः, वायुरेव कायः शरीरं येषां ते वायुकायाः वायुकाया एव वायुकायिकास्ते च द्विप्रकारका भवन्तीत्युत्तरम् । द्वैविध्यमेव दर्शयति- 'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा - सुहुमबाउक्काइया - य बायरवाउकाइया य' सूक्ष्मवायुकाश्च बादरवायुकायिकाश्च सूक्ष्मत्वं बादरत्वं च तादृशनामकर्मोदयात् । तत्र सूक्ष्मवायुकायिकान् दर्शयितुमाह - 'सुहुम ० ' इत्यादि, 'मुहुमवाउकाइया' जहा सुहुमते उक्काइया' सूक्ष्मवायुकायिका यथा सूक्ष्मतेजस्कायिकाः, यथा सूक्ष्मतेजस्कायिकानां शरीरादि च्यवनान्तद्वाराणि कथितानि तथैव सूक्ष्मवायुकायिकानामपि तानि द्वाराणि तथैव वक्तव्यानि । केवलं यदंशे वैलक्षण्यं तद्दर्शयति'णवरं' इत्यादि, 'णवरं सरीरा पडागसंठिया' नवरं केवलं सूक्ष्मवायुकायिकानां शरीराणि पताकासंस्थानयुकानि भवन्तीति ज्ञातव्यम् । अन्यत्सर्वं सूक्ष्मपृथिवीकायिकवदेव ज्ञातव्यम् । 'एगगइया दुआगइया' एकगतिका द्वयागतिकाः, सूक्ष्मवायुकायिकात् उदवृत्त्य तिर्यग् गतिमात्रे गमनादेकगतिकाः, तथा तिर्यङ्मनुष्यगतिभ्य उद्वृत्त्य सूक्ष्मवायुकायिके आगमनाद्द्वयागतिकाः कायिक दो प्रकार के कहे गये हैं- वायु ही जिन जीवों का शरीर होता है वे वायुकाय हैं और वायुकाय ही वायुकायिक हैं । इस प्रकार से दो प्रकार के हैं - "सुहुमबाउक्काइया य बायर वाउक्काइया य" सूक्ष्म वायुकायिक और बादर वायुकायिक यहां पर भी सूक्ष्मता और बादरता सूक्ष्म और बादर नामकर्म के अधीन है इनमें 'सुहुमवाउक्काइया जहा सुहुमते उक्काइया" सूक्ष्मवायुकायिकों का वर्णन सूक्ष्म तेजस्कायिकों के जैसा ही है. अतः सूक्ष्मतेजस्कायिकों के जिस प्रकार से शरीरादि च्यवनान्त द्वार वर्णित हुए हैं. उसी प्रकार से इनके भी ये द्वार वर्णित कर लेना चाहिये । परन्तु " सरीरा पडागसंठिया" इनके शरीर पताका के जैसे आकार वाले होते हैं। बाकी का और सब कथन सूक्ष्मपृथिवोकायिकों के जैसे ही है । "एगगइया दुआगइया" ये जीव एक गतिक होते हैं, क्योंकि सूक्ष्मवायुकायिक से उद्घृत हुए जीव केवल एक तिर्यग्गति में ही उत्पन्न होते हैं। तथा तिर्यञ्च और मनुष्य गति से "वाक्काया दुविहा पण्णत्ता" हे गौतम वायुमाथि वो मे प्रारना ह्या छे. "तं जहा " ते मे अम। आा प्रमाणे छे. "सुहुम वाउक्काइया य बायर वाउक्काइया य" सूक्ष्म वायुअयि અને બાદર વાયુકાયિક અહિયાં પણ સૂક્ષ્મ પણુ' અને ખદર પણું સૂક્ષ્મ અને બાદર નામક ને अधीन छे, तेभ समभवु तेमां "सुहुम वाउक्काइया जहा सुहुम तेउक्काइया " सूक्ष्म વાયુકાયિકાનું વન સૂક્ષ્મ તેજસ્કાયિકાના કથન પ્રમાણે જ છે. તેથી સૂક્ષ્મ તેજસ્ક્રાયિકાના શરાર દ્વારથી લઈ ને ચ્યવનદ્વાર સુધીનું જે પ્રમાણે કથન કર્યુ” છે, એજ પ્રમાણે આ સૂક્ષ્મ वायुअयिोना ते धान द्वारोनु अथन समन्. परंतु "सरीरा पडागसंठिया" तेयोनुं શરીર પતાકા-ધ્વજાના આકાર જેવું હેાય છે. તે આ કથન સિવાય બાકીનુ` સઘળુ' કથન સૂક્ષ્મ पृथ्वीप्राय भवना उथन प्रभाशे छे. तेथे। "एगगइया दुआगइया " मावो मे गतिવાળા હોય છે, કેમકે સૂક્ષ્મ વાયુાયિકા માંથી નીકળેલા જીવો કેવળ એક તિય ગતિમાં જ
જીવાભિગમસૂત્ર