Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 636
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २ सू० २२ विशेषतस्तिर्यगादीनां संमिश्रं नवममल्पबहुत्वम् ६२३ पञ्चेन्द्रितिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् 'जलयराणं' जलचराणाम्. 'थलयराणं' स्थलचराणाम् 'खहयराणं' खेचराणाम् ‘मणुस्सित्थीणं' मनुष्यस्त्रीणाम् 'कम्मभूमियाणं' कर्मभूमिकानाम् कर्मभूमिसमुत्पन्नस्त्रीणाम् एवमग्रेऽपि । 'अकम्मभूमियाणं' अकर्मभूमिकस्त्रीणाम् 'अंतरदीवियाणं' अन्तरद्वीपकमनुष्यस्त्रीणाम् । 'मणुस्सपुरिसाणं' मनुष्यपुरुषाणाम् 'कम्मभूमियाणं' कर्मभूमिकानां मनुष्यपुरुषाणाम्. 'अकम्मभूमियाणं' अकर्मभूमिकमनुष्यपुरुषाणाम् 'अंतरदीवयाणं' अन्तरद्वीपकमनुष्यपुरुषाणाम् । तथा—'मणुस्सणपुंसगाणं' मनुष्यनपुंसकानाम् 'कम्मभूमियाणं कर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकानाम् 'अकम्मभूमियाणं' अकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकानाम् 'अंतरदीवगाणं' अन्तरद्वीपकमनुष्यनपुंसकानाम् तथा-'देवित्थीणं' देवस्त्रीणाम् 'भवणवासिणीणं भवनवासिनीदेवीनाम् 'वाणमंतरीणीणं' वानव्यन्तरीणाम् 'जोइसिणीणं' ज्योतिप्कीनां देवीनाम् 'वेमाणिणीणं' वैमानिकीनां देवीनाम् ‘देवपुरीसाणं' देवपुरुषाणाम्. 'भवणवासिणं' भवनवासिनां देवपुरुषाणाम् दियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकों के-“जलयराणं, थलयराणं", जलचरों के स्थलचरों के, खेचरों के "मणुस्सित्थीणं" मनुष्यस्त्रियों के अर्थात् - "कम्मभूमियाणं" कर्मभूमि में उत्पन्न हुई मनुष्य स्त्रियों के, “अकम्मभूमियाणं" अकर्मभूमिमें उत्पन्न हुई मनुष्य स्त्रियों के, “अंतरदीवियाणं" अन्तर द्वीप में उत्पन्न हुई मनुष्यस्त्रियों के, "मणुस्सपुरिसाणं" मनुष्यपुरुषों अर्थात्- "कम्मभूमियाणं" कर्मभूमि में उत्पन्न हुए मनुष्यपुरुषों के "अकम्मभूमियाणं" अकर्मभूमि में उत्पन्न हुए मनुष्य पुरुषों के “अंतरदीवयाणं" अन्तरद्वीप में उत्पन्न हुए मनुष्य पुरुषों के, तथा "मणुस्सणपुंसगाणं" मनुष्य नपुंसकों के अर्थात् "कम्मभूमियाणं" कर्मभूमिक मनुष्यनपुंसकों के, “अकम्मभूमियाणं" अकर्मभूमिक मनुष्य नपुंसकों के "अंतरदीवगाणं" अन्तर द्वीपकमनुष्यनपुंसकों के तथा-"देवित्थीणं" देवस्त्रियों के अर्थात् "भवणवासिणीणं" भवनवासि देवस्त्रियों के, “वाणमंतरीणं" वानव्यन्तर देवस्त्रियों के, “जोइसिणीणं" ज्योतिष्क देवस्त्रियों के, "वेमाणिणीणं" वैमानिक देवस्त्रियों के "देवपुरिसाणं" नसभा, “जलयराण थलयराणं" सयमां, स्यसायमा, मेयरामा "मणुस्सित्थीण" मनुष्यस्त्रियामा अर्थात् 'कम्मभूमियाण" भभूमिमा उत्पन्न येसी मनुष्य स्त्रियोमा “अक म्मभूमियाणं" अभभूमिमा उत्पन्न थयेसी भनु५ स्त्रियोमा “अंतरदीवियाण" तद्वीपमा उत्पन्न थयेसी भनुष्यस्त्रियोमा “मगुस्सपुरिसाण" मनुष्य ५३षामा अर्थात् 'कम्मभूमियाण' ४भ भूमिमा ५-न थयो मनुष्य ५३षोमा “अकम्मभूमियाणं" सभ भूमिमा उत्पन्नथये। भनुष्य ५३षामा "अंतरदीवगाणं" मतद्वीपमा ५न्न थयेसा मनुष्य ५३षामां तथा “देवित्थोण" वस्त्रियोमा अर्थात् "भवणवासिीण' नवनवासि वोमां-मेटसे है सवनवासि पस्त्रियामा "वाणमंतरीणं" व्यन्तर स्त्रियोमा "जोइसिणीण" ज्योति हेव स्त्रियोमा “वेमाणिणीणं' वैमानि पस्त्रियामा "देवपुरिसाणं' हेव ५३षामा જીવાભિગમસૂત્ર

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