Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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___ जीवाभिगमसूत्रे स्थलचरपुरुषाणाम्. 'खहयराणं' खेचरपुरुषाणाम् 'तिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' तिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् ‘एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं' एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम्. 'पुढवीकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं' पृथिवीकायिकैकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम्. 'आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' अप्कायिकैकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् 'जाव वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' याबद्वनस्पतिकायिकैकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् । अत्र यावत्पदेन तेजस्कायिकैकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानां ग्रहणं भवति । तथा 'बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् तथा---'तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकाम्, तथा---'चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' चतुरिन्द्रितिर्यग्योनिकनपुंसकानाम् तथा—'पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' "तिरिक्खजोणियपुरिसाणं” तिर्यग्योनिक पुरुषों के “जलयराण" जलचर पुरुषों के, “थलयराण" स्थलचर पुरुषों के, "खहयराणं" खेचर पुरुषों के “तिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" तिर्ययोनिक नपुंसकों के–“एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसगाणं" एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकों के अर्थात् - "पुढवीकाइयए गिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकों के तथा ... "आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकों के, “जाव वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" यावत्-तेजस्कायिकएकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों के, वायुकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों के वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकनपुंसकों के, तथा---'बेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" दो इन्द्रिय वाले तिर्यग्योनिकनपुंसकों के, तथा __ "तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" तेइन्द्रियतिर्यग्योनिक नपुंसकों के तथा"चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" चौइन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकों के, तथा-"पंचिंभा तथा “तिरिक्खजोणियपुरिसाण” तिर्थयानि पु३षोमा ‘जलयराण" सय ५३षामा "थलयराण” स्थलयर ५३षामा "खहयराण' मेय२ ५३षामां. “तिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" तिय योनि नसभा “एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं' से छन्द्रियाणा तिय ज्योनि नसभा “पुढवीकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाण' पृथ्वी।यि मेद्रिया तियज्योनि नसभा तथा “आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" ५५४५४ मेद्रियवाणा तयं यानि नसभा - 'जाव वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" यावत् सय मेद्रियवाणा तिय यानि नसभा, वायुકાયિક એક ઈદ્રિયવાળા તિર્યાનિક નપુંસકમાં, વનસ્પતિકાય વાળા એકઈદ્રિયવાળા તિર્ય
योनि नसभा तथा “वेईदियतिरिक्खजोणियपुसगाण'' मेद्रियात तिय योनि नसभा तथा “तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाण' त्रद्रियाणा (तय योनि नपुनसभा तथा- “चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" या२६ दिया॥ तिय योनि नसभा तथा – “पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं" पांय /न्द्रियोवा (तय योनि
જીવાભિગમસૂત્ર
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