Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 623
________________ ६१० ... जीवाभिगमसूत्रे द्वयेऽपि परस्परं तुल्याः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति “पुश्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमिगमणु स्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणाओ" पूर्वापरविदेहमनुष्यपुरुषापेक्षया पुर्वविदेहापरविदेह कर्मभूमिक मनुष्यस्त्रियो द्वय्योऽपि परस्परं तुल्याः सत्यः संख्येयगुणाधिका भवन्ति सप्तविंशतिगुणत्वात् ! 'अंतरदीवगमणुस्सणपुंसगा असंखज्जगुणा" पूर्वविदेहापरविदेहमनुष्यस्त्र्यपेक्षया अन्तरद्वीपकमनुष्यनपुंसका असंख्येयगुणाधिका भवन्ति श्रेण्यसंख्येभागताकाश प्रदेशराशिप्रमाणत्वादिति । "देवकुरु उत्तरकुरु अकम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" अन्तरद्वीपक मनुष्यनपुंसकापेक्षया देवकुरूत्तरकुर्वकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसकाः द्वयेऽपि परस्परं तुल्याः सन्तः संख्येयगुणाधिका भवन्तीति 'तहेव जाव पुव्वविदेह अवरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा' तथैव यावत् पूर्वविदेहापरविदेहकर्मभूमिकमनुष्यनपुंसका द्वयेऽपि के मनुष्य पुरुष परस्पर में समान होते हुए भरत क्षेत्र एवं ऐरवत क्षेत्र की मनुष्यस्त्रियों से संख्यात गुणें अधिक हैं । तथा-"पुनविदेह-अवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणाओ" पूर्वविदेह और पश्चिम विदेह के मनुष्य पुरुषों की अपेक्षा वहां की मनुष्य स्त्रियां परस्पर में समान होती हुई संख्यात गुणी अधिक हैं। क्योंकि यहां स्त्रियां सत्ताईस गुणी-अधिक हैं। "अंतरदीवगमणुस्सणपुंसगा असंखेज्जगुणा" पूर्वविदेह और पश्चिम विदेह की मनुष्यस्त्रियों की अपेक्षा अन्तरद्वीप के मनुष्य नपुंसक असंख्यात गुणें अधिक हैं क्योंकि ये श्रेणियों के असंख्यातभागवर्ती आकाश राशि प्रमाणवाले होते हैं । “देव कुरूत्तरकुरु अकम्मभूमिग मणुस्सणपुंसगा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" देवकुरु और उत्तरकुरु रूप अकर्मभूमि के मनुष्य नपुंसक परस्पर में समान होते हुए अन्तरद्वीपज मनुष्यनपुंसकों की अपेक्षा संख्यात गुणें अधिक हैं । "तहेव जाव पुव्वविदेहअवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" इसी प्रकार यावत् देवकुरु और પરસ્પરમાં સમાન છે, અને ભરતક્ષેત્ર અને અરવતક્ષેત્રના મનુષ્ય સ્ત્રિ કરતાં સંખ્યાતગણું पधारे छे. तथा-"पु-वविदेह अवरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणाओ" पूर्व विड भने पश्चिम विना मनुष्य ५३५ो ४२di त्यांनी मनुष्य स्त्रियो ५२સ્પરમાં સરખી છે, અને સંખ્યાતગણી વધારે છે. કેમકે–અહિયાં સ્ત્રિ સત્યાવી सगणी पधारे छ. “अंतरदीवगमणुस्सणपुंसगा असंखेज्जगुणा" पूविड भने पश्चिमविहेड ની મનુષ્ય સ્ત્રિ કરતાં અંતરદ્વીપના મનુષ્ય નપુંસક અસંખ્યાતગણું વધારે છે, કેમકે – ते। श्रेणियाना मध्यातमागता मा प्रदेश राशि प्रमाण वाणा डाय छे. “देवकुरूत्तरकुरु अकम्मभूमिग मणुस्सणपुंसगा" दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" हेव४३ भने उत्त२४३ રૂપ અકર્મભૂમિના મનુષ્ય નપુંસકો પરસ્પરમાં સરખા હેતાથકા અંતરદ્વીપના મનુષ્ય નપુંસક ४२ता सज्यात पधारे छ. "तहेव जाव पुव्वविदेह अवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा” मा प्रमाणे यावत् वि३ अने उत्त२४३ना मनुष्य नघुस ४२di જીવાભિગમસૂત્રા

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