Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 622
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २ सू०२१ विशेषतः सप्तमाष्टमाल्पबहुत्वनिरूपणम् ६०९ 'हेमवय हेरण्णवय अकम्मभूमिगमणुस्सिस्थिओ मणुस्सपरिसा य' हैमवत हैमवतहैरण्यवताकर्मभूमिकमनुष्यस्त्रियो मनुष्यपुरुषाश्च 'दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा' द्वयेऽपि तुल्याः संख्येयगुणाः हरिवर्षरम्यकवर्षस्त्रीपुरुषापेक्षया हैमवतहैरण्यवतस्त्रीपुरुषाः संख्यातगुणाधिका भवन्ति तथा--स्वस्थाने एते परस्परं तुल्याश्च भवन्तीति । 'भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वितुल्ला संखेज्जगुणा हैमवतहैरण्यवताकर्मभूमिकमनुष्यस्त्री पुरुषापेक्षया भरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यपुरुषा द्वयेऽपि तुल्याः संख्येयगुणा अधिका भवन्ति ॥ 'भरहेरवयकम्मभूभिग मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा' कर्मभूमिकमनुष्यपुरुषापेक्षया भरतैरवतकर्मभूमिकमनुष्यस्त्रियः द्वय्योऽपि परस्परं तुल्याः सत्यः संख्येयगुणा अधिका भवन्ति तत्र मनुष्यापेक्षया स्त्रीणां सप्तविंशतिगुणाधिकत्वादिति । "पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखज्जगुणा" भरतैरवतमनुष्यस्त्र्यपेक्षया पूर्वविदेहापरविदेहकर्मभूमिकमनुष्यपुरुषाः और मनुष्य पुरुषों से संख्यातगुणे अधिक हैं। "हेमवयहेरण्णवय अकम्मभूमिग मणुस्सित्थियाओ मनुस्सपुरिसा य" हैमवत और हैरण्यवत रूप अकर्मभूमिकी मनुष्य स्त्रियां और मनुष्य पुरुष “दो वि तुल्ला" दोनों आपस में तुल्य होते हुए हरिवर्ष रम्यकवर्ष के स्त्री पुरुषों की अपेक्षा “संखेज्जगुणा" संख्यात गुणे अधिक हैं। "भरहेरवयकम्मभूमिग मनुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरतक्षेत्र और ऐरवत क्षेत्र रूप कर्मभूमि के मनुष्य पुरुष हैमवत और हैरण्यवत रूप अकर्मभूमि के मनुष्यस्त्रियाँ एवं मनुष्य पुरुषों से संख्यात गुणें अधिक हैं । परन्तु ये दोनों भी परस्पर में समान हैं । “भरहेरवयकम्मभूमिग मणुरिसत्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरत और ऐरवत क्षेत्र के मनुष्य पुरुषों की अपेक्षा यहां के मनुष्य स्त्रियां परस्पर में समान होती हुई संख्यात गुणी अधिक हैं। क्योंकि यहां स्त्रियां पुरुषों की अपेक्षा सत्ताईस गुणी अधिक होती हैं । “पुव्वविदेह-अवरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" पूर्व विदेह और अपरविदेह रूप कर्मभूमि “एएणं दोन्नि तुल्ला संखेज्जगुणा" ॥ मन्न स्वस्थानभाततुस्य छे, परंतु हेवा३ अने उत्त२४३नी मनुष्य स्त्रियो भने भनुष्य ५३षाथी सभ्याता धारे छे. 'हेमवय हेरण्णवय अकम्मभूमिग मणुस्सिस्थियाओ मणुस्सपुरिसा य" डेभवत अन १२५यत ३५ समभिनी भनुष्य स्त्रियो भने मनुष्य ५३ष। “दो वि तुल्ला' भन्ने ५२२५२भा स२५छ. मन रिवर्ष भने २भ्यर्पना स्त्रि५३। ४२di “संखेज्जगुणा" सध्यातमा धारे छ. “भरहेरवयकम्मभूमिगमणुस्सपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरतक्षेत्र सने भैरवतक्षेत्र ३५ भभूमिना મનુષ્ય પુરૂ હેમવત અને હૈરણ્યવત રૂપ અકર્મભૂમિની મનુષ્ય સ્ત્રિ અને મનુષ્ય પુરૂષ ४२ता सेण्यात। पधारे छे. ५२ मा मन्ने ५५ ५२८५२भा स२॥ छे. “भरहेरवयकम्मभूमिग मणुस्सित्थियाओ दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" भरत भने भैरवत क्षेत्रना मनुष्य ५३थे। કરતાં ત્યાંની મનુષ્ય સ્ત્રિયો પરસ્પરમાં સમાન છે. અને સંખ્યાતગણી વધારે છે. કેમકે – मडिया ५३।४२ता स्त्रिया सत्यावीसभाली थारे छे. “पुटवविदेह अवरविदेह कम्मभूमिग मणु स्तपुरिसा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा" पूर्व विडमने अ५२विड ३५ भूमिना मनुष्य ५३षा જીવાભિગમસૂત્ર

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