Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 602
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २ सू० १९ सामान्यतः पञ्चाल्पबहुत्वनिरूपणम् ५८९ 'णपुंसगवेए णं भंते' नपुंसकवेदः खलु भदन्त ! 'कि पगारे पन्नत्ते' किं प्रकारः - कीदृशः प्रज्ञप्तः-कथित इति प्रश्नः भगवानाह-गोयमा' इत्यादि “गोयमा' हे गौतम ! 'महाणगरदाहसमाणे पन्नत्ते' महानगरदाहसमानः; सर्वास्वपि अवस्थासु मदनदाहो महानगरदाहसमान एव स्त्रीपुरुषोभयाभिलाषविषयः प्रज्ञप्तः – कथितः 'समणाउसो' श्रमणायुष्मन् ! हे श्रमण ! हे आयुष्मन् ! "सेत्तं णपुंसगा' ते एते उपरि प्रदर्शिता भेदप्रभेदाभ्यां नपुंसका निरूपिता इति नपुंसकप्रकरणम् ॥सू० १८॥ सम्प्रति-सकलस्त्रीपुरुषनपुंसकविषये नव अल्पबहुत्वानि वक्तव्यानि तथाहि-प्रथम सामान्यतः स्त्रीपुरुषनपुंसकविषयकमल्पबहुत्वम् ॥१॥ समान्यतस्तिर्यग्योनिकस्त्रीपुरुषनपुंसकविषयकं द्वितीयम् ।२। एवं सामान्यतो मनुष्यत्रीपुरुषनपुंसकविषयकं तृतीयम् ॥३। सामान्यतो देव स्त्रीपुरुषनारकनपुंसकविषयकं चतुर्थम् ॥४। सामान्यतस्तिर्यग्मनुष्यस्त्रीपुरुषनपुंसक-देवस्त्री पुरुषनारकनपुंसक-विषयकं संमिश्रं पञ्चमम् ॥५॥ विशेषतस्तिर्यग्योनिकस्त्रीपुरुषनपुंसकविषयकं षष्ठम् ।६। विशेषतो मनुष्यत्रीपुरुषनपुंसकविषयकं सप्तमम् ।७। विशेषतो देवस्त्रीपुरुषनारकनपुंसकविषयकमष्टमम् ८! विशेषतस्तिर्यग्मनुष्यस्त्रीपुरुषनपुंसक-देवस्त्रीपुरुष–नारकनपुंसकविषयक संमिश्रं नवमम् ।९। तत्र पञ्चाल्पबहुत्वानि सामान्यतिर्यगादि सम्बन्धीनि ।५। चत्वारि च विशेषति अब सूत्रकार नौ अल्प बहुत्व के सम्बन्ध में वक्तव्यता प्रकट करते हैं-इनमें सामान्य से स्त्री पुरुष नपुंसक के विषय में प्रथम अल्प बहुत्व है १। सामान्य से तिर्यगयोनिक स्त्री, पुरुष और नपुंसक के विषय में द्वितीय अल्प बहुत्व है। २। इसी प्रकार सामान्य से मनुष्य स्त्री, पुरुष और नपुंसक विषयक तृतीय अल्प बहुत्व है ३। सामान्य से देव स्त्री पुरुष और नारक नपुंसक विषयक चतुर्थ अल्प बहुत्व है ४। सामान्य से समस्त से मिला हुआ पच्चम अल्प बहुत्व है ५। इसके आगे विशेष की अपेक्षा से तिर्यग्योनिक स्त्री पुरुष नपुंसकों का छठा अल्पबहुत्व है । विशेष से मनुष्य स्त्री पुरुष नपुंसकों का सातवां अल्प बहुत्व है ७) विशेष से देव स्त्री पुरुष नारक नपुंसकों का आठवां अल्प बहुत्व है ८। तिर्यञ्च मनुष्य स्त्री पुरुष नपुंसक और देव स्त्री पुरुष नारक नपुंसक, इन सबविजातीयव्यक्तियों का संमिश्र नौवां अल्प बहुत्व है ९। इस હવે સૂત્રકાર નવ અલ્પ બહુપણાના સંબંધમાં કથન પ્રગટ કરે છે.–તેમાં સામાન્ય પણાથી સ્ત્રી, પુરુષ અને નપુંસકેના સંબંધમાં પહેલું અ૫ બહપણું છે. ૧ સામાન્ય પણથી તિર્યંગ્યાનિક સ્ત્રી, પુરૂષ અને નપુંસકના સંબંધમાં બીજું અ૫ બહુ પણું છે ૨ એજ પ્રમાણે સામાન્ય પણાથી મનુષ્ય સ્ત્રી, પુરૂષ, અને નપુંસકના સંબંધમાં ત્રીજું અલપ બહુપણું છે. ૩, સામાન્યપણાથી દેવ સ્ત્રી, પુરૂષ અને નારક નપુંસકેના સંબંધમાં ચોથું અ૫ બહુ પણું છે. સામાન્ય પ્રકારથી સઘળાથી મળેલું પાંચમું અલપ બહુપણું છે. ૫ પછી વિશેષની અપેક્ષાની તિર્યનિક સ્ત્રી, પુરૂષ અને નપુંસકોનું છઠું અલ્પ બહુપણું છે. ૬ વિશેષ પ્રકારથી મનુષ્ય સ્ત્રી, પુરૂષ નપુંસકેનું સાતમું અલ્પ બહુપણું છે. વિશેષથી દેવ સ્ત્રી, પુરૂષ, નારક નપુંસકનું આઠમું અલ્પ બહુપણું છે.૮ જીવાભિગમસૂત્રા

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