Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्रति० २
नपुंसकस्वरूपनिरूपणम् ५७७
जनकोटिकोटिप्रमाणाकाशप्रदेश राशिप्रमाणासु घनीकृतस्य लोकस्य एकप्रादेशिकीषु श्रेणिषु याव नभःप्रदेशास्तावत्प्रमाणत्वादिति " ते इंदियतिरिक्ख जोणियणपुंसगा विसेसाहिया' चतुरि न्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकापेक्षया त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका विशेषाधिका भवन्ति प्रभूततर श्रेणीगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वादिति 'बेइंदियतिरिक्ख जोणिय णपुंसगा विसेसाहिया त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसकापेक्षया द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकनपुंसका विशेषाधिका भवन्ति प्रभूततम श्रेणिगताकाशप्रदेशराशिप्रमाणत्वादिति 'ते उक्काइयए गिंदियतिरिक्खा असंखेज्जगुणा' द्वीन्द्रियनपुंसकापेक्षया तेजस्कायिकै केन्द्रिय तिर्यगूनपुंसका असंख्येयगुणा अधिका भवन्ति सूक्ष्मबादरभेदभिन्नानां तेजस्कायिकनपुंसकानामसंख्येयलोकाकाशप्रदेशप्रमाणत्वादिति || ' पुढवीकाइयए गिंदिय तिरिक्ख जोणिया' तेजस्कायिकै केन्द्रिय तिर्यग्नपुंसकापेक्षया पृथिवीकायिकैकेन्द्रिय तिर्यग्योनि की जो प्रदेश राशि है । उस प्रदेश राशि प्रमाण जो घनीकृत लोक की एक प्रदेश वाली श्रेणियां हैं उन श्रेणियों में जितने आकाश के प्रदेश हैं उतने हैं "तेइंदिय तिरिक्ख जोणिय णपुंसगा विसेसाहिया" चौइन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों की अपेक्षा तेइन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक विशेषाधिक हैं । क्योंकि इनका प्रमाण प्रभूततर श्रेणिगत आकाश प्रदेश राशि के बराबर है । " बेइंदियतिरिक्ख जोणिय णपुंसगा विसेसाहिया " तेइन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसकों की अपेक्षा जो दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक हैं वे विशेषाधिक हैं क्योंकि इनका प्रमाण प्रभूततम श्रेणिगत आकाश की प्रदेश राशि के बराबर हैं । तेउक्काइय एगिंदिय तिरिक्खा असंखेज्जगुणा " द्वीन्द्रिय नपुंसकों की अपेक्षा तेजस्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुंसक असंख्यात गुणे अधिक है । क्योंकि - सूक्ष्म और बादर तेजस्कायिक नपुसकों का प्रमाण असंख्यात लोकाकाश प्रदेशों के बराबर कहा गया है । " पुढवीकाइयएगिंदिय तिरिक्ख जोणिया "
स्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक नपुसकों की अपेक्षा पृथिवीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक કેમકે—તેનું પ્રમાણ અસંખ્યાત યાજન કાટાકેાર્ટિ પ્રમાણુ આકાશની જે પ્રદેશરાશિ છે. તે પ્રદેશ રાશિ પ્રમાણ ઘનીકૃત લેાકની એક પ્રદેશવાળી જે શ્રેણિએ છે, તે श्रेशियोभां भेटतामा प्रशना अहेशी छे, भेटला छे. "तेईदियतिरिक्ख जोणिय णपुंसगाविसाहिया" यार दियवाणा तिर्यग्योनि नपुंस ।उरता भणु इंद्रिय वाजा तिर्यग्योनिः નપુસકે વિશેષાધિક છે કેમકે—તેનું પ્રમાણુ પ્રભૂતતર શ્રેણિમાં રહેલ આકાશ પ્રદેશ રાશિની जरामर छे "बेदिय तिरिक्ख जोणिय णपुंसगा विसेसाहिया" | छद्रियवाजा तिर्यग्योનિક નપુંસકો કરતાં એ ઇન્દ્રિય વાળા જે તિર્યંચૈાનિક નપુસકો છે, તેએ વિશેષાધિક છે. કેમકે तेनु प्रमाणु प्रभूततम श्रेशिमां रहेस माझशनी प्रदेश शशिनी भरोभर छे. “ तेडक्काइयएगिदियतिरिक्खा असंखेज्जगुणा " ये छद्रिय वाणा नपुंसओ रतां तेनायि मे द्रिय વાળા તિર્યંગ્યાનિક નપુસકે અસખ્યાતગણા વધારે છે. કેમકે—સૂક્ષ્મ અને બાદર તેજસ્કાયિ
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જીવાભિગમસૂત્ર