Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 579
________________ जीवाभिगमसूत्रे विसेसाहियावा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाअंतरदीवगअकम्मभूमिकमणुस्स. णपुंसगा देवकुरूत्तरकुरुअकम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दोविसं खेज्जगुणा, एवं जावपुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दोविसंखेज्जगुणा । एएसि णं भंते !णेरइयणपुंसगाणं रयणप्पभापुढवीनेरइयणपुंसगाणं जावअहेसत्तमापुढवीणेरइयणपुंसगाणं तिरिक्खजोणि यणपुंसगाणं एगिदियतिरिक्खजोणियणपुसगाणं पुढविक्काइय एगिदि यतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं जाव वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियण पुंसगाणं, बेइंदियतेइंदियचउरिदियपंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं मणुस्सणपुंसगाणं कम्मभूमिगाणं अकम्मभूमिगाणं अंतरदीवगाणयकयरेकयरेहितोअप्पावाबहुयावा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थो वा अहेसत्तमपुढवीणेरइयणपुंसगा छट्ठपुढवीणेरइयणपुंसगाअसंखेज्जगुणा जावदोच्चपुढवीणेरइयणपुंसगाअसंखेज्जगुणा अंतरदीवगमणुस्सणपुंसगाअसंखेज्जगुणा देवकुरूत्तरकुरु अकम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दोविसंखेज्जगुणा जावपुव्वविदेहअवरविदेह कम्मभूमिगमणुस्सणपुंसगा दोविसंखेज्जगुणा. रयणप्पभापुढवीणेरइणपुसगा असंखज्जगुणा, खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असंखेज्ज गुणा, थलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा, जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखेज्जगुणा. चउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया, तेइंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया, बेइंदितिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया । तेउक्काइय एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा असंखेज्जगुणा, पुढवीकाइयएगिदियतिरिक्खजो. णियणपुंसगा विसेसाहिया आउक्काइय एगिदियतिरिक्खजोणियपुंसगाविसेसाहिया, वाउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा विसेसाहिया, वणस्सइक्काइय एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा अणंतगुणा' |सू. १७॥ छाया-एतेषां खलु भदन्त ! नैरयिकनपुंसकानां तिर्यग्योनिकनपुंसकानां मनुष्य - नपुंसकानांच कतरे कतरेभ्यो यावद्विशेषाधिका वा? गौतम! सर्वस्तोका मनुष्यनपुंसकाः नैरयिक જીવાભિગમસૂત્રા

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