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पाठ -9 प्राकृत वाक्यों का संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद प्राकृत संस्कृत
हिन्दी 1. नमो सिद्धाणं । नमः सिद्धेभ्यः | सिद्ध भगवंतों को
नमस्कार हो। 2. नमो उवज्झायाणं । नम उपाध्यायेभ्यः । उपाध्याय भगवंतों को
नमस्कार हो। 3. | समणा सब्बय च्चिअ श्रमणाः
साधु हमेशा निश्चय आवासयं कम्म |सर्वदैवाऽऽवश्यकं आवश्यक क्रिया
समायरति । कर्म समाचरन्ति । | करते हैं। 4.|जह छप्पआ उप्पलाणं | यथा षट्पदा उत्पलानां | जैसे भौंरे कमलों
रसं पिविरे, ताइं रसं पिबन्ति, तानि । का रस पीते हैं और च न पीलंति, तह च न पीडयन्ति , | उनको पीड़ा नहीं करते
समणा संति । तथा श्रमणाः सन्ति । | हैं, वैसे साधु होते हैं । 5. | जो खमइ, सो धम्म | यः क्षमते, स धर्मं सुष्ट | जो क्षमा करता है, वह सुङ आराहेइ । आराध्यति । अच्छी तरह धर्म की
सेवा करता है। 6. बुहो नरिंदस्स बुधो नरेन्द्रस्य संतोषाय पण्डित राजा के संतोष | संतोसाय कव्वाई काव्यानि रचयति । | हेतु काव्यों की रचना रएइ ।
करता है। | अईव नेहो दुहस्स अतीवस्नेहो दुःखस्य | अतिस्नेह दुःख का मूलमत्थि । मूलमस्ति ।
मूल है। धम्मस्स फलमिच्छंति, धर्मस्य फलमिच्छन्ति , | मनुष्य धर्म के फल की | धम्मं नेच्छन्ति धर्मं नेच्छन्ति मनुष्याः । इच्छा रखता है, धर्म मणूसा।
की इच्छा नहीं
रखता है। 9. समणो सावगाणं |श्रमण: श्रावकेभ्यो साधु श्रावकों को | जिणेसराणं चरितं |जिनेश्वराणां
जिनेश्वरों का वक्खाणेइ। चरित्रं व्याख्याति । चरित्र कहते हैं।
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