Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 02
Author(s): Vijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 208
________________ प्राकृत अच्चंतविओगो भवइ, तत्थ वि पिट्टिओ, सब्भावे कहिए मुक्को, भणितो य एरिसे कज्जे एवं भण्णइ-निच्चं एरिसयाणि पेच्छितया होह, सासयं एवं भवउ, ततो गच्छंतो एगत्थ नियलबद्धं दंडियंदट्ठण एवं भणइ-निच्चं एरिसयाणि पेच्छंतया होह, सासयं च भेएवं हवउ, तत्थ वि गहिओ पिट्ठिओ य, सब्भावे कहिए मुक्को, भणितो य एरिसे कज्जे एवं भणिज्जासि-एयाओ भे लहुं मुक्खो हवउ त्ति, ततो गच्छंतो एगत्थ केइ मित्ता संधाइयं करिते पिच्छइ, तत्थ भणइ संस्कृत अनुवाद अत्यन्तवियोगो भवतु, तत्रापि पिट्टितः, सद्भावे कथिते मुक्तः भणितश्च ईदृशे कार्ये एवं भण्यते-नित्यमीदृशकानि प्रेक्षमाणतया भवत, शाश्वतमेतद् भवतु, ततो गच्छन्नेकत्र निगडबद्धं दण्डिकं दृष्ट्वैवं भणति, नित्यमीदृशानि प्रेक्षमाणतया भवत, शाश्वतं च युस्माकमेतद् भवतु, तत्राऽपि गृहीतः पिट्टितश्च , सद्भावे कथिते मुक्तः भणितश्च-ईदृशे कार्ये एवं भणे:- 'एतस्माद् युष्माकं लघुमोक्षो भवतु' इति , ततो गच्छन्नेकत्र कानिचिन् मित्राणि सडघाटकं कुर्वति प्रेक्षते, तत्र भणति हिन्दी अनुवाद और बताया ऐसे कार्य में इस प्रकार कहना - ‘ऐसे कार्य सदा देखते ही हो जाए, ये चिरंजीवी बने' |, वहाँ से जाते समय एक जगह बेड़ी में बाँधे हुए गाँव के मुखिया को देखकर इस प्रकार कहता है, ऐसे कार्य सदा देखते ही हो जाए और यह तुम्हे सदा हो, वहाँ भी उसे पकड़ा और मारा | सत्य बात कहने पर छोड़ दिया और कहा, - ‘ऐसे कार्य में इस प्रकार बोलना चाहिए - 'इससे तुम्हारा जल्दी मोक्ष (मुक्त) हो' ।, वहाँ से जाते समय एक जगह कुछ मित्र इकट्ठे हुए देखता है, वहाँ बोलता है, - 'तुम्हारा इससे जल्दी मोक्ष हो ।', वहाँ भी उसे पीटा, प्राकृत एयाओ भे लहु मोक्खो भवउ, तओ तत्थ वि पिट्टिओ, सब्भावे कहिए मुक्को गओनयरे, तत्थ एगस्सदंडि(ग) - कुलपुत्तस्स अल्लीणो सो सेवंतो अच्छइ, अन्नया दुब्भिक्खे तस्स कुलपुत्तस्स अंबखल्लिया (जवागू) सिद्धिल्लिया, तस्स भज्जाए सो भण्णइ, जाहि महाजणमज्जाओ सद्दावेहि जेण भुंजइ, सीयला - १८९

Loading...

Page Navigation
1 ... 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258