Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 02
Author(s): Vijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 213
________________ (13) कमलामेला प्राकृत बारवईए बलदेवपुत्तस्स निसढस्स पुत्तो सागरचंदो नाम कुमारो, रूवेण य उक्किठ्ठो सव्वेसिं संबाईणं इट्ठो । तत्थ य बारवईए वत्थव्वस्स चेव अण्णस्स रण्णो कमलामेला नाम धूआ उक्किट्ठसरीरा । सा य उग्गसेणनत्तुस्स धणदेवस्स वरिल्लिया । इओ य नारओ सागरचंदस्स कुमारस्स सगासं आगओ । अब्भुट्ठिओ । उवविट्ठ समाणं पुच्छइ-भयवं किंचि अच्छेरयं दिट्ठे ! | आमं दिट्ठे । कहिं ? । इहेव बारवईए नयरीए कमलामेला नामं दारिया । कस्सइ दिन्निया ? । आमं । कस्स ? | उग्गसेणनत्तुस्स धणदेवस्स । तओ सो भणइ - कहं (13) संस्कृत अनुवाद द्वारवत्यां बलदेवपुत्रस्य निषधस्य पुत्रः सागरचन्दो नाम कुमारो, रूपेण चोत्कृष्टः सर्वेषां शाम्बादीनामिष्टः । तत्र च द्वारवत्यां वास्तव्यस्य चैवाऽन्यस्य राज्ञः कमलामेला नाम दुहितोत्कृष्टशरीरा । सा चोग्रसेननप्तुर्धनदेवस्थ वृता । इतश्च नारदः सागरचन्द्रस्य कुमारस्य सकाशमागतः । अभ्युत्थितः । उपविष्टं समानं पृच्छति भगवन् । किञ्चिदाश्चर्यं दृष्टम् । आं दृष्टम् । कुत्र ? इहैव द्वारवत्यां नगर्यां कमलामेला नाम दारिका । कस्मैचित् दत्ता ? आम् । कस्मै ? । उग्रसेननप्त्रे धनदेवाय । ततः स भणति कथं मम तया समं संयोगो भवेत् ? । 'न जानीमः' इति भणित्वा गतः । हिन्दी अनुवाद द्वारिकानगरी में बलदेव के पुत्र निषध का पुत्र सागरचन्द्र नामक कुमार है, वह रूप से श्रेष्ठ और शांब आदि सभी को प्रिय है । उसी द्वारिका नगरी में रहते दूसरे राजा की कमलामेला नाम की उत्तम रूपवती पुत्री थी । और उसकी उग्रसेन राजा के पौत्र धनदेव के साथ सगाई की हुई थी । इस तरफ नारद सागरचन्द्र कुमार के पास आया, सागरचन्द्र खड़ा हुआ । बैठते ही पूछता है - है भगवन् ! कुछ आश्चर्यकारी देखा ! हाँ, देखा है । कहाँ ? इसी द्वारिका नगरी में कमलामेला नाम की पुत्री है। किसी को सौंपी हुई है ? हाँ । किसको ? उग्रसेन राजा के पौत्र धनदेव को । तो वह कहता है - मेरा उसके साथ मिलन कैसे होगा ? १९४

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