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प्राकृत तेहिं भणियं, एवं भणिज्जासि-सुद्धं नीरयं निम्मलं च भवतु, ऊसं पडउ, तओ सो नयरसमुहं एइ, एगत्थवीयाणिवाविज्जंति, तेण भणियं-भट्टा ! सुद्धं नीरयं भवउ, ऊसो य पडउ, तओ तेहिं किमकारणवेरिओ एवं भासइ ! त्ति, गहिओ बंधिओ पिट्टिओ य, सब्भावे कहिए मुक्को, भणितो य-एरिसे कज्जे एवं भण्णइबहु एरिसंभवतु, भंडं भरेह एयस्स, तओपुणो नयरसमुहं एइ, एगत्थ मडयंनीणिज्जंतं दहूं भणइ-बहुं एरिसंभवउ, भंडं भरेह एयस्स, तत्थ विगहिओ पट्टिओ य, सब्भावे कहिए मुक्को, भणिओ य एरिसे कज्जे एवं वुच्चइ, एरिसेणं अच्चंतवियोगो भवउ, अन्नत्थ विवाहे भणइ
संस्कृत अनुवाद तैर्भणितम् एवं भणेः-शुद्धं नीरजसं निर्मलं च भवतु , उसं पततु, ततः स नगरसन्मुखमेति, एकत्र बीजानि वाप्यन्ते, तेन भणितम्-भट्टाः ।, शुद्धं नीरजसं भवतु, उरत्रश्च पततु ततस्तैः किमकारणवैरिक एवं भाषते इति गृहीतः, बद्धः पिट्टितश्च , सद्भावे कथिते मुक्तः, भणितश्च , ईदृशे कार्ये एवं भण्यते-बहु ईदृशं भवतु, भाण्डं भ्रियतामेतस्य, ततः पुनः नगरसन्मुखमेति, एकत्र मृतकं नीयमानं दृष्ट्वा भणति-बहु ईदृशं भवतु, भाण्ड भ्रियतामेतस्य, तत्राऽपि गृहीत: पिट्टितश्च , सद्भावे कथिते मुक्त : भणितश्चेदृशे कार्ये एवमुच्यते, ईदृशेनऽत्यन्तवियोगो भवतु, अन्यत्र विवाहे भणति
हिन्दी अनुवाद उन्होंने (धोबियों ने) कहा- इस प्रकार बोलना - शुद्ध, धूलरहित, निर्मल हो और धूप आये, तत्पश्चात् वह नगर तरफ जाता है, एक जगह बीजों का वपन हो रहा था, उसने कहा - भट्टा ! शुद्ध, धूलरहित हो और धूप आये; निष्कारण शत्रुसमान यह ऐसा क्यों बोलता है ? अतः उन्होंने पकड़ा, बाँधा और प्रहार किया, सत्य बात कहने पर छोड़ दिया और कहा- ऐसे कार्य में इस प्रकार कहना - ऐसा बहुत हो, इनके बर्तन भर जाए, इसके बाद वह नगर तरफ जाता है, एक जगह शव ले जाते देखकर कहता है - ऐसे बहुत हो, इनके बर्तन भर जाए, वहाँ भी उसको पकड़ा और प्रहार किया, सत्य बात कहने पर छोड़ दिया और कहा, ऐसे कार्य में इस प्रकार कहना अत्यंत वियोग हो, एक बार विवाह प्रसंग में वह कहता है - अत्यंत वियोग हो, वहाँ भी वह पीटा गया, सत्य बात कहने पर छोड़ा ।
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