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32. प्रा. सतेसु जायते सूरो, सहस्सेसु य पंडिओ ।
वत्ता सयसहस्सेसु, दाया जायति वा न वा 11201 सं. शतेषु शूरो जायते, सहस्रेषु च पण्डितः ।
शतसहस्रेषु वक्ता, दाता जायते वा न वा ||20|| हि. सौ मनुष्यों में एक शूरवीर होता है, हजारों में एक पण्डित होता है, लाखों में एक वक्ता होता है, दाता तो होता है अथवा नहीं भी होता है ।
33. प्रा. इंदियाणं जए सूरो, धम्मं चरति पंडिओ |
वत्ता सच्चवओ होइ, दाया भूयहिए रओ ||21|| सं. इन्द्रियाणां जये शूरः, धर्मं चरति पण्डितः ।
सत्यवदो वक्ता भवति, भूतहिते रतो दाता ||21|| हि. इन्द्रियों का जय = इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करे वह शूरवीर, धर्म का आचरण करे वह पण्डित, सत्यवादी हो वह वक्ता और प्राणियों के हित में रत हो वह दाता ( कहलाता) है ।
हिन्दी वाक्यों का प्राकृत एवं संस्कृत अनुवाद
1. हि. जो उसने जहरवाला भोजन खाया होता, तो वह मृत्यु पाता । प्रा. जइ सो विसमिसिअं अन्नं भुंजतो तया सो मरंतो ।
सं. यदि स विषमिश्रितमन्नमभोक्ष्यत तदा सोऽमरिष्यत् । 2. हि. जो तुमने जिनेश्वर के चरित्र सुने होते, तो धर्म पाते ।
प्रा. जइ तुब्भे जिणेसरस्स चरित्ताइं सुणंता, तया धम्मं पावंता । सं. यदि यूयं जिनेश्वरस्य चरित्राण्यश्रोष्यथ, तदा धर्मं प्राप्स्यथ । 3. हि. अभिमन्यु जिन्दा होता, तो कौरवों की पूरी सेना को जीत लिया
होता ।
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प्रा. अहिमन्नू जीवंतो, तया कउरवाणं सव्वं सेणं जिणन्तों । सं. अभिमन्युरजीविष्यत्, तदा कौरवाणां सर्वां सेनामजेष्यत् । 4. हि. जो उसे तत्त्वों का ज्ञान होता तो वह धर्म प्राप्त करता । प्रा. जह तस्स तत्ताणं नाणं हुतं, तया सो धम्मं लहंतो ।
सं. यदि तस्य तत्त्वानां ज्ञानमभविष्यत्, तदा स धर्ममलप्स्यत । 5. हि. जो तुमने उस समय बन्धन में से मुक्त किया होता, तो मैं सत्य
बोलता ।
प्रा. जइ तुब्भे तंमि समयंमि बंधणत्तो मुंचंता, तया हं सच्चं कहेन्तो । सं. यदि यूयं तस्मिन् समये बन्धनादमोक्ष्यत तदाऽहं सत्यमकथयिष्यम् ।
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