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तीर्थकर भगवान महावीर इसी प्रकार काव्य सृजन कर जन साहित्य के भण्डार को श्रीसम्पन्न करते रहेंगे।"
(पत्र दि० ११ व २।५।५३) श्रीमान् मा० उग्रसेन जी जैन, मंत्री-म० भा० वि०
जैन परिषद् परीक्षा बोई, काशीपुर".."पापको पुस्तक तीर्थङ्कर भगवान महावीर प्राप्त हुई। धन्यवाद । कविता सुन्दर मोर भावपूर्ण है और अच्छी लिखी है।" श्रीमान् प्रादीश्वर प्रसाद जैन, एम. ए. सेक्सन आफीसर यू० पी० एस० सी०, मंत्री- जैन मित्र मण्डल, देहली___"आपके द्वारा रचित 'तीर्थकर भगवान महावीर' काव्य मिला । भगवान पर इतना सुन्दर काव्य लिखने का पापका प्रयत्न श्लाघनीय है पापको जैन धर्म को प्रचार की भावना तथा जैन धर्म के अन्तिम तीर्थकर भ• महावीर के प्रति प्रगाढ़ श्रदा के कारण ही इस सुन्दर पुस्तक का निर्माण हो सका है। भगवान महावीर के जीवन सम्बन्धी इस प्रकार के काव्य की कमी बड़ी प्रखरतो थी। और उस कमी को पूर्णकर मापने जैन साहित्य की जो प्रगति की है उसके लिए प्रापको अनेकानेक धन्यवाद । प्राशा है कि प्राप भविष्य में भी इस प्रकार के जैनसाहित्य की सेवा में दत्तचित्त रहेंगे।" (पत्र ता० २५-५-१६) म० शान्तिलाल बालेंदु, संचालक हिन्दी शान-पीठ,
".."यह प्रसन्नता को बात है कि श्री वीरेन्द्र प्रसाद जैन ने हिन्दी में भ. महावीर के जीवन दर्शन पर अपने श्रुत शान द्वारा 'तीर्थकर भगवान महावोर' शीर्षक एकार्य काव्य की निवर्तना की है । इस ग्रन्थ को मैंने स्वयं देखा है, यह अपने ढङ्ग को एक अच्छा ग्रन्थ है। कवि अपने विषय की महत्व पूर्ण विवेचना में पूर्णतः सफल ह । हम श्री बोरेन्द्र प्रसाद के इस सप्रयास का अविनन्दन करते हैं । पाशा ह भविष्य में भी हमें इनकी पीयूष