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तीर्थकर भगवान महाबोर प्रतिफलित हो रहा शिशु के, सश्चित कमों का लेखा । जो हमने सौम्य वदन पर, देखी सु-हास को रेखा ॥'
सम्राट स्वयम् मुस्काए, उत्तर सुन सम्राज्ञो का । स्वीकार कर लिया जैसे,
यह कथन नृपति ने उसका ।। इतने में मुन्ने ने झट, सोते में करवट बदली। माँ बोली-'जाग रहा शिशु, सुन कर के अपनी बोली।
उसकी निद्रा में बाधा, पड़ रही अतः मत करिए। कोई भी वार्ताएं अब,
कुछ शान्त हुए-से रहिए ॥' सब हुए मौन ही सहसा, रुक गया बात का कहना। पर खला सभी को उस क्षण, मुन्ना-समीप चुप रहना ॥
क्षग एक न लेकिन बीता, मुन्ना ने खोली प्रखें ।