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तीर्थर भगवान महावीर इन बच्चों की मेली के हैं, अधिनायक बालक बढमान । उनको सर्वोपरि बुद्धि शक्ति,
रहती उनकी आज्ञा प्रमाण वह बालक टोली खेल अहाँ, अब करती वहाँ युगल यतिबर । प्रा निकले जिनका नाम विजय,
सञ्जय जो चारण ऋद्धि-निकरें। इनको शङ्का यह थीजाता है जीव मरण के बाद कहाँ। है स्वर्ग-नर्क भी या कि नहीं,
या केवल गोचर लोक यहाँ बह शाशूल हृदय में था, उद्विग्न किए युग मुनिवर को। जैसे कि फांस साला करती,
जिसके चुभ जाती उस जन को। पर बर्दमान बालक नायक का, मुख-मण्डल प्रभावशाली । लख दूर हो गई स्वयम् श्राप,
शङ्का मस्थिर करने वाली है। मुंग मुनिवर ने इनको पाया, सुविचक्षण बालक मेधावी ।