________________
पंचम सर्ग : तरुणाई एवं विराग और उनको किसो विधि भी, व्याह करने को मनामो ॥
क्योंकि तुम ही साध सकती, बात यह मेरी समझ में । मातृपद के जोर से तुम, मना सकती हो तनिक में ॥
___'मैं अभी तैयार लेकिन,
आप भी आना वहां पर।' दिया उत्तर राशिवर ने'आपका क्या वह न सुत वर ?'
नपति बोले विहंस, 'अच्छा, रात जब होगो अभी तब । व्याह का प्रस्ताव रखना, वीर के सम्मुख सु-नीरव ।।
बाद में मैं बाऊगा तब, पुष्टि करने को तुम्हारी । पूर्ण होगी इस तरह से, समझता वाञ्छा हमारी ।'
इस तरह अब रात का यह, कार्यक्रम हो गया निश्चित । उधर नव तरणी यशोदा, निय शिविर में मुक्ति प्रविवित।