________________
चतुर्थ सर्ग : किशोर वय 'हैं धन्य कुमार किया वश गज',
वार्ता में बोले मंत्रि प्रवर ॥ पर मूक रहे वे विनयवान, मृदु वर्द्धमान सुन निज बखान । अब अन्यमनस्क विलोक रहे,
वे द्वार पार कुछ आसमान ॥ पर बोला कोई नागर जन, 'उत्पात-शान्त शत धन्य इन्हें । अव अभय-मार्ग पर चलते सब कह रहा लोक 'अतिवीर' इन्हें ॥
जनता के प्रिय बन गए 'वीर'
'महावीर और 'अतिवीर' हुए। सन्मति किशोर यश-शोर हुमा,
चहुं ओर वीर गम्भीर हुए ॥