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तीर्थकर भगवान महावीर वे शिशु के 'जुग-जुग' जीने, की प्राश सँजोते रहते । इसविधि अपना वे जीवन, शुभ सरस सरलतम करते ॥
जब रात हुए सुत मां-संग, लेटा करते शैया पर। तो माँ जी उन्हें सुनातों,
कुछ लघु कहानियाँ सुन्दर ॥ जब वे कहती-'था राजा, थी रानी एक नगर में।' तो झट कुमार कह देते, कुछ अरुचि साथ उत्तर में ॥
मैं सुनना नहीं चाहता. राजा-रानी की गाथा । इनके सुनने में तो है,
कुछ व्यर्थ पचाना माथा ॥ मुझको तो भली लगी थी, उस दिन को क्षमा कहानी । जिससे कि पार्श्व स्वामी के, जीवन की झांकी जानी ॥
अब उसी भांति कोई भो, मां कह दो सत्य कहानी।