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कुण्ड ग्राम का नगर सौम्य-सा,
चहल-पहल से भरा हुआ। दूर छुद्र झगड़ों से है यह,
सुभग शान्ति में सना हुआ ॥ न्याया-मर्ग में निरत नपति भी,
कियत अनीति न करते हैं । समता के सुन्दर प्राङ्गण में,
सब स्वच्छन्द विरचते हैं ॥ नागर बृन्द, प्राय सज्जन सब,
जीवन सरल बिताते हैं । चोर, दस्यु, गुण्डे, दुर्व्यसनी,
सुनने में कम आते हैं ॥ और उधर भो राज-भवन में,
सुन्दर जीवन की लय है। सुलभ सभी सामग्री जिसमें,
स्वयम् मोद का आलय है।