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तीर्थकर भगवान महावीर एक प्रश्न के बाद शीघ्र ही,
प्रश्न दूसरा है होता । 'बोलो जी किस पाप कर्म से,
प्राणी है बहरा होता ॥' रानी त्वरितोत्तर देती हैं,
'प्राणी वे बहरे होते । जिनको आवश्यकता होती,
उनकी बात न जो सुनते ॥' प्रश्न इसीविधि होते रहते,
जैसे क्यों डूड़े होते ?' रानी कहती - 'पूर्व-जन्म में,
दान न जो किश्चित देते॥' इसी भांति ही अन्य कुमारी,
पूछ बैठतीं हैं ऐसे । 'बोलो मां श्री कौन पाप से,
होते कुछ जन लँगड़े-से ?' सम्राज्ञी कहती मृदुता से,
'सुनों सहेली मम सुन्दर । यह तो बात तनिक-सी ही है,
भाव नहीं कोई दुस्तर ॥ जो पशुओं को अधिक लादते,
और कष्ट उनको देते ।