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तीर्थकर भगवान महावीर गुणानुवाद करना उनका उद्देश्य रहा और इसमें वे प्राशा से भी अधिक सफल हुए।"
(विस्तृत समीक्षा से) श्रीमान् लालचन्द जी काशलीवाल, संयोजक : अखिल
विश्व जैन मिशन केन्द्र, कलकत्ता, दांता"तीर्थकर भगवान महावीर' काव्य ग्रन्थ मिला भाई वीरेन्द्र प्रसाद जी के इस प्रयास के लिये में हार्दिक प्रशंसा करूंगा। मापने बहुत ही सुन्दर ढङ्ग व सरस कविता में भगवान महावीर का जीवन चित्रण किया है । छपाई एवं कागज भी बढ़िया है।"
(पत्र ता. २५-५-५९) श्री प्रकाशचन्द टोंग्या संयोजक अ० वि० जन मिशन
केन्द्र इन्दौर"श्री वीरेन्द्र जी को 'तीथंकर भगवान महावीर' रचना सुन्दर है।"
(पत्र ता० २ ।४९) श्री लाडूलाल जी जैन, सीनियर हिन्दी टीचर, गवर्नमेण्ट हायर सेकण्डरी स्कूल, हरसौली (अलवर)
"माप द्वारा रचित 'तीर्थकर भगवान महावीर' काव्य के पठन का सौभाग्य प्राप्त हुना। प्रापने इस काव्य की रचना कर साहित्यक क्षेत्र में बीर के शासन की बड़ी सेवा की है। भापकी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। वास्तव में जैन महापुरुषों की जीवन गाथा में अभी तक काव्य में राष्ट्र भाषा हिन्दो में लिखी जानी शेष है। माशा है माप अपनी प्रतिभा द्वारा और भागे भी कदम बढ़ायेंगे।" 'नव-मारत टाइम्स' (दैनिक) ता०७जून १६६५,दिल्ली
"विद्वान लेखक ने 'तीर्थपुर भगवान महावीर' के प्रबतरण का विशद् रूप से वर्णन पद्यों में प्रस्तुत पुस्तक में किया है। साथ ही साथ भ• महावीरके वह चित्र भी चित्रित हैं जिन्हें देखकर मनुष्य मात्म-ज्ञान प्राप्त कर सकता है।"नेखक महो