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श्रीपाल-चरित्र
आगे बढ़ना चाहिये; क्यों कि इस समय वायु बहुत ही अनुकूल है। जिसे जिस वस्तु की आवश्यकता हो, वह शहर में जाकर शीघ्र ही ले आये।”
प्रधान नाविक की यह बात सुन सब नौकायें वहाँ रोक दी गयीं। लोग आवश्यक वस्तुओं का संग्रह करने के लिये शहर में गये। धवल सेठ भी नौका से उतर कर, तटपर बड़े ठाठ से गद्दी, तकिया लगाकर आ बैठा। चारों ओर उसके कर्मचारी खड़े हो गये और राजसी ढंग से धवल सेठ की आज्ञाओं का पालन करने लगे।
बब्बरक्ल के राज-कर्मचारियों को यह मालुम हुआ कि कोई व्यापारी बन्दरगाह पर आया है। इसलिये वे लोग धवल सेठ के पास पहुंचे। उन्होंने यथा नियम कर की.याचना की। धवल सेठ को अपने सैनिकों पर बड़ा अभिमान था। उसने सोचा कि युद्ध भले ही करना पड़े ; किन्तु कर न चुकाया जाय। निदान, कर देने से इन्कार करने पर राजा के आदमियों से झगड़ा हो गया। देखते ही देखते युद्ध का सामान उपस्थित हो गया। उसी समय राजा के आदमियों ने यह समाचार राजा को पहुंचाया। राजा के पास एक सुदृढ़ सैन्य था। वह उसे साथ लेकर तुरन्त ही समुद्र-तटपर आ पहुँचा। चारों ओर से धवल सेठ को घेर लिया। धवल सेठ के सैनिक उसके सामने ठहर न सके। ज्योंही वे इधर-उधर भागने लगे, त्योंही राजा के सैनिकों ने धवल सेठ को गिरफ्तार कर
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