Book Title: Shripal Charitra
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta

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Page 251
________________ २१२ अठार हवाँ परिच्छेद ।। श्री सिद्धचक्राराधन | जाप पद. | नवपद अंक खमा.प्रद. | स्वस्तिक संख्या. काउसाग inlik गुणणु संख्या जाप प्रमाण. १ | ओं ह्रीं नमो अरिहंताणं १२ १२ लोगस्स २००० २० नवका० २००० २ |ओं ह्रीं नमो सिद्धाणं ।।। FFE पल ३ ओं ह्रीं नमो आयरियाणं| ३६ ३६ . २००० ४ ओं ह्रीं नमो उवज्झायाणं २००० | ५ |ओं ह्रीं नमो लोएसव्वसाहूणं २००० | ६ | ओं ह्रीं नमो दंसणस्स | २००० | ७ | ओं ह्रीं नमो नाणस्स Gm २००० | ८ | ओं ह्रीं नमो चारित्तस्स ७० २००० | ९ | ओं ह्रीं नमो तवस्स २००० बे टंक प्रतिक्रमण, नव चैत्यवंदन, त्रिकाल पूजन, गुरुवन्दन, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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