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श्रीपाल-चरित्र कहो, तुम लोगों ने यह प्रपञ्च-जाल क्यों बिछाया? भाँडोंने सोचा कि अब सच बात कहे बिना कल्याण नहीं। झूठ बोल कर अधिक समय तक लोगों को नहीं ठगा जा सकता। उसी समय उन्होंने काँपते हुए कहाः- “महाराज! हम लोगों से बड़ा कसूर हुआ। यहाँ आये हुए एक सेठ ने हम लोगों से यह सब करने को कहा था। प्रलोभन में पड़कर हम लोग उसकी बातों में आ गये। हम लोगों का कसूर तो अवश्य है; किन्तु इसका मूल कारण वह सेठ ही है। उसका नाम 'धवल' है। वह हाल ही में किसी विदेश से यहाँ आया हुआ है।"
भाँडोंकी यह बात सुन कर राजा ने उसी समय धवल सेठ को पकड़ लाने की आज्ञा दी। आज्ञा मिलते ही वह खोज निकाला गया। उसी समय उसकी मुश्कें बाँध ली गयीं। शीघ्र ही वह राजा के सम्मुख उपस्थित किया गया। धवल सेठ ने देखा कि इस बार बुरी तरह फँसे। पहले तो श्रीपाल ने छुड़ाया था, अब कौन छुड़ायेगा? निदान, उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और राजा से क्षमा-प्रार्थना की; किन्तु राजा इस समय आपे से बाहर हो रहा था। उसे धवल और भाँड़ों का यह अपराध अक्षम्य प्रतीत हुआ। उसने उसी समय धवल और समस्त भाँडों को शूलीपर चढ़ा देने की आज्ञा दे दी।
श्रीपाल से अब न रहा गया। उनका दयालु हृदय पानीपानी हो गया। उन्होंने तुरन्त राजा के पास पहुँच कर उन्हें यह
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