________________
तेरहवाँ परिच्छेद
राधा-वेधमें सफलता जिस समय श्रृंगारसुन्दरी और उसकी पाँच सखियों के साथ श्रीपाल कुमार का समस्या-संवाद हो रहा था, उस समय वहाँ किसी देश से आया हुआ अंगभट्ट नामक एक ब्राह्मण भी उपस्थित था। वह श्रीपाल के चमत्कार को देखकर मन-ही-मन उनपर प्रसन्न हो रहा था। एक दिन समय पाकर वही अंगभट्ट ब्राह्मण श्रीपाल के पास आया। आशीर्वाद देने के पश्चात् उसने उनसे कहा:- 'हे कुमार! मैं एक बात कहता हूँ, उसे सुनिये। यहाँ से कुछ दूरी पर कोल्लागपुर नामक एक शहर है। वहाँ पुरन्दर नामक राजा राज करता है। उसके विजया नामक एक रानी है। उस रानी ने सात पुत्र और एक पुत्री को जन्म दिया है। वह इतनी सुन्दर है कि रम्भा आदि अप्सराओं से भी उसकी तुलना नहीं की जा सकती। एक तो सौन्दर्य, दूसरे यौवन-दोनों के कारण उसमें इस समय सोना और सुगन्ध की कहावत चरितार्थ हो रही है। एक दिन राजा ने राजकुमारी के शिक्षा-गुरुसे पूछा:-"महाराज ! राज-कुमारी के विवाह के सम्बन्ध में आपकी क्या सम्मति है?"
शिक्षा-गुरु ने कहा :-“राजन ! जिस समय मैं राजकुमारी को कलाओं की शिक्षा दे रहा था, उस समय एक
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org