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श्रीपाल-चरित्र
१२९ राजी खुशी घर आयेंगे और शत्रुका यह भय भी दूर हो जायेगा। मालूम होता है कि किसी बुरे ग्रह के कारण इस समय हम लोग संकट भोग रहे हैं। आप नवपद का ध्यान कीजिये, जिससे अपने अनिष्ट दूर हों। नवपद के जाप से जलोदर प्रभृति व्याधियाँ, सब तरह के उपद्रव, बन्धन और भय दूर हो जाते हैं। एवं इहलोक और परलोक में ऋद्धि, सिद्धि तथा सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मेरी धारणा है कि अब हमारे दुःख के दिन पूरे हो गये और सुख के दिन
आने में अब अधिक देर नहीं है! माताजी! आज सायंकाल में पूजा के समय मुझे जो अपूर्व भाव और अलौकिक आनन्द की प्राप्ति हुई है, वह अवर्णनीय है। अबतक मेरे मन पर उसका प्रभाव बना हुआ है। मेरी रोमावली रह-रह कर मानो पुलकित हो उठती है। आज मेरी बायीं आँख और बायाँ स्तन भी फड़क रहा है। इससे मेरा मन कह रहा है कि आज कोई शुभ घटना अवश्य घटित होनी चाहिये। संभव है कि आज ही मेरे पतिदेव आ जायें या हम लोगों को उनका आनन्दप्रद समाचार ही मिले।"
माता ने कहाः- “बेटी ! ईश्वर करे तेरी बात सत्य प्रमाणित हो। मैंने अनेक बार देखा है कि तू जो कहती है, वही होता है। तेरी जीभ में अमृत है। मुझे तेरी बात का पूर्ण विश्वास है; क्योंकि तेरी बात सिद्ध पुरुष के वचनकी भाँति कभी व्यर्थ नहीं जाती।"
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