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नवाँ परिच्छेद उनके रूप-लावण्य और गाम्भीर्य की प्रशंसा करने लगता। राजा ने बड़े ही सम्मान-पूर्वक श्रीपाल के रहने के लिये एक सुन्दर महल की व्यवस्था कर दी।
__ पाठकों को स्मरण होगा कि एक नैमित्तिकने राजा के पहले ही यह सब बातें बता दी थीं। राजा ने तुरन्त ही उस नैमित्तिक को बुला भेजा और उससे राज-कुमारी के विवाह का मुहूर्त पूछा। नैमित्तिक ने कहा :-“आज के दिन से बढ़कर कोई उत्तम मुहूर्त नहीं।” यह सुनकर राजा ने तुरन्त तैयारियाँ करायीं। उसी दिन श्रीपाल के साथ मदनमञ्जरी का ब्याह करा दिया। राजा ने दहेज में श्रीपाल को अनेक हाथी, घोड़े और वस्त्राभूषण आदि प्रदान किये। ____ कर्म-भोग के कारण केवल एक रात्रि दुःख भोगने के बाद दूसरे दिन श्रीपाल नाना प्रकार की सुख-सम्पत्ति के अधिकारी हुए और राजा के दिये हुए निवास-स्थान में रहकर सुख-भोग करने लगे।
राजा ने श्रीपाल से अनेक बार कहा, कि:-"आपको राज्य में जो पद पसन्द हो, उस पर आपकी नियुक्ति कर दी जाय।” किन्तु श्रीपाल ने राजा के बार-बार कहने पर भी कोई पद लेना स्वीकार न किया। अन्त में राजा ने
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