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आठवाँ परिच्छेद
एवं गुरु-भक्ति पर प्रेम रखना। पतिव्रता के कर्तव्यों का पालन करना। अधिक क्या कहें, जिस तरह दोनों पक्ष का मुख उज्ज्वल हो, वही करना।” ।
___ पश्चात् राजा, अनेक दास-दासियों और वस्त्राभूषणों के साथ, श्रीपाल और मदनमञ्जूषा को बिदा करने के लिये समुद्र तटपर उपस्थित हुए। कुमार श्रीपाल ने अपनी दोनों रानियों के साथ नौका पर स्थान ग्रहण किया। नौका चलने को ही थी कि, सबकी आँखों में आँसू भर आये। आँसू टपकाते हुए राजा ने श्रीपाल और मदनमञ्जूषा को बिदा किया। अनन्त सागर के वक्षस्थल पर क्रीड़ा करती हुई नौकायें वहाँ से चल पड़ी।
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