________________
अग्न्यस्त्र
सात्
पड़े - साक्षिक (वि०) जिसका साक्षी अग्नि हो; (वि०) भस्म किया हुआ; ~ सेवन (पु० ) आग तापना; ~ होत्र ( पु० ) अग्नि में हवन करना; ~होत्री (पु० ) हवन करनेवाला
अग्न्यस्त्र - सं० (पु० ) 1 मंत्र प्रेरित बाण जिससे आग निकले
2 अग्नि चालित अस्त्र ( बंदूक आदि )
अग्न्याधान - ( पु० ) आग की स्थापना करना अग्न्यायुध-सं० (५०) अमेय अस्त्र अग्न्याशय-सं० (पु०) पेट में जठराग्नि का स्थान
अग्र - I संc (वि० ) 1 अगला 2 पहला 3 मुख्य II (अ० ) आगे III (पु० ) 1 अगला भाग 2 नोक 3 शिखर 4 लक्ष्य । ~गण्य (वि०) प्रमुख श्रेष्ठ गति (स्त्री०) आगे बढ़ना, प्रगति गामिनी (स्त्री०) : गामी I (वि०) आगे चलनेवाला II ( पु० ) नायक; ज (वि०) पहले जन्मा हुआ, बड़ा भाई जन्मा (पु० ) 1 बड़ा भाई 2 ब्राह्मण; जा (स्त्री०) बड़ी बहन; जिह्वा (स्त्री०) जीभ का अग्र भाग; ~णी I (वि०) आगे चलने वाला II ( पु० ) नेता; -तम (वि०) सब से अगला; तर (वि०) और अगला, ~ता (स्त्री०) पहल, प्राथमिकता दत्त (स० क्रि०) आगे दिया; ~ दल अगला दल; दान (पु० ) 1 मृतक के नाम पर दान 2 पहले देना; ~दाय (पु० ) पेशगी दीप (पु० ) वाहनों की हेड लाइट; दूत (पु० ) पहले पहुँचकर किसी के आने की सूचना देनेवाला; पद (पु० ) आगे का पद; ~ भाग (पु० ) 1 श्रेष्ठ या अगला भाग 2 श्राद्ध में पहले दी जानेवाली वस्तु - महिषी (स्त्री०) बड़ी रानी - यान (पु० ) आगे लड़ने वाली सेना यायी (वि०) नेतृत्व करनेवाला; ~ लिखित (वि) पूर्वलिखित ~ लेख (पु० ) (समाचार पत्र का) मुख्य लेख, संपादकीय; ~वर्ती (वि०) आगे रहनेवाला; ~ सारण (पु० ) आगे बढ़ाना; सोची (वि०) आगे की बात सोचनेवाला, दूरदर्शी संध्या (स्त्री०) प्रातः काल; ~सर (वि), ~सरी (स्त्री०) आगे बढ़ा हुआ; ~सर करना आगे बढ़ाना; ~सरता (स्त्री०) अग्रगति; ~ सारण (पु० ) 1 आगे भेजना 2 आगे बढ़ना; ~सारित (वि०) आगे बढ़ाया हुआ सूचना अगली सूचना सूची (स्त्री०) सूई की नोक; सेना (पु० ) (युद्ध में) आगे की सेना; स्वर पहला स्वर; हायण (पु० ) अगहन का महीना हार ( पु० ) जीविका हेतु मिलनेवाला भूदान या अन्नदान
अग्रतः सं० (अ० ) 1 पहले 2 आगे से
अग्रशः- ( क्रि० वि०) आगे-आगे अग्रानीत-सं० (वि०) आगे लाया गया
अग्राभिसारी-सं० (वि०) आगे की ओर बढ़ता हुआ अग्राम्य-सं० (वि०) 1 जो देहाती न हो 2 शिष्ट अग्राशन-सं० (पु० ) देवता या गाय के लिए पहले निकाला
गया अन
अग्रासन -सं० (पु० ) सम्मान का आसन या स्थान अग्राह्य सं० (वि०) 1 ग्रहण के अयोग्य
3 अविचारणीय 4 अविश्वसनीय
2 त्याज्य
12
अग्रिम -सं० (वि०) 1 अगला 2 पहला, श्रेष्ठ II ( पु० )
पेशगी
अचार
अग्रेषण-सं० (पु० ) आगे लाना
अघ - I सं० (वि०) 1 अपवित्र 2 पापी 3 दुष्ट II ( पु० ) 1 पाप 2 दुष्कर्म 3 दुःख 4 विपत्ति । कृच्छ ( पु० ) प्रायश्चित में किया जानेवाला व्रत भोजी (वि०) पाप की कमाई खानेवाला
अघट-सं० (वि०) 1 जो घटे नहीं 2 स्थिर 3 कठिन अघटित-सं० (वि०) 1 जो हुआ न हो 2 असंभव अघन-सं० (वि०) जो ठोस न हो अघमर्षण-सं० (पु०) मैल उतारना
अघवाना - (स० क्रि०) अघाना का प्रेरणार्थक रूप, पेटभर खिलाना
अघाना - (अ० क्रि०) पेटभर खाना, तृप्त होना अधारि - ( पु० ) पापनाशक अधियाना-(अ० क्रि०) तृप्त करना अघी सं० (वि०) पापी अघुलनशील-हिं० + सं० (वि० ) जो घुल न सके अघोर - I .सं० (५०) शिव का एक रूप II ( वि०) भयानक अघोरी - सं० (वि०) 1 घृणित 2 मलिन 3 अघोर संप्रदाय का अघोष -सं० (वि०) 1 नादरहित 2 बिना ध्वनिवाला अघ्राणता-सं० (स्त्री०) सूँघने की शक्ति का अभाव अघ्रेय-सं० (वि०) न सूँघने योग्य अचंचल-सं० (वि०) 1 स्थिर 2 धीर अचंड सं० (वि०) सौम्य
अचंभा - ( पु० ) 1 आश्चर्य 2 आश्चर्यजनक बात अचक - (वि०) न चुकनेवाला, बहुत अधिक अचकचाना-(अ० क्रि०) 1 भौचक्का होना 2 घबराना (स्त्री०
अचकचाहट)
अचकन - ( पु० ) लम्बा बंद गले का कोट अचक्का - (पु० ) अनजान। अचक्के में धोखे में अचक्षु-सं० (वि०) चक्षुरहित । -दर्शन (पु० ) भीतरी इन्द्रियों से प्राप्त ज्ञान
अचगरी - (स्त्री०) 1 दुष्टता 2 शरारत अचपल - (वि०) 1 अचंचल 2 स्थिर अचर-सं० (वि०) अचल
अचरज - I (पु०) आश्चर्य II ( वि०) अनोखा अचरा- (पु० ) आँचल
अचरित - (वि०) सदा स्थिर रहनेवाला
अचल - I सं० (वि०) 1 गतिहीन 2 चिरस्थायी 3 अटल II
(पु० ) पर्वत । ~कीला (स्त्री०) धरती; धृति (स्त्री० ) एक वृत्त जिसमे पाँच नगण और एक लघु होता है; संपत्ति (स्त्री०) न हटाई जा सकनेवाली संपत्ति (घर, ज़मीन) अचला - सं० (स्त्री०) पृथ्वी। सप्तमी (स्त्री०) माघ शुक्ला
सप्तमी
अचवन - (पु० ) आचमन अचवना - (स० क्रि०) पीना
अचवाना - (स० क्रि०) अचवना का प्रेरणार्थक रूप, पिलाना अचातुर्य - सं० पु० ) अकुशलता या अनाड़ीपन
अचानक - (अ०) यकायक
अचार - (पु० ) मिर्च मसाले में कई दिन तक रखा हुआ चटपटा पदार्थ, अथाना 2 कचूमर