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अग
अग-सं० (वि०) 1 अचल 2 वक्र गतिवाला 3 वृक्ष 4 सूर्य । ज (वि०) वृक्ष या पर्वत से उत्पन्न होनेवाला (जड़ी-बूटियाँ); जग (पु०) सारा संसार, चल-अचल
सब
अगटना - (अ० क्रि०) इकट्ठा होना
अगड़धत्ता - (वि०) लंबा-चौड़ा या बढ़ा-चढ़ा
अगड़ बगड़ - (वि०) निरर्थक
अगड़म बगड़म - (पु० ) अव्यवस्थित ढेर
अगणनीय सं० (वि०); अगणित (वि०); अगण्य (वि०) बेहिसाब, असंख्य, जिसे गिना ना जा सके
अगति -सं० (स्त्री०) 1 गति की कमी 2 मृतक की मुक्ति न होना 3 दुर्गति 4 स्थिर पदार्थ
अगतिक-सं० (वि०) 1 निरुपाय 2 बिना आश्रय अगद सं० (वि०) नीरोगता
अगम-सं० (वि०) 1न चलनेवाला 2 दुर्गम 3 दुर्बोध 4 अथाह
अगम्य-सं० (वि०) 1 दुर्गम 2 अनुपयुक्त 3 बुद्धि से बाहर, दुर्बोध 4 असीमित 5 दुष्कर
अगम्या-सं० (स्त्री०) वह स्त्री जिसके साथ संभोग निषिद्ध हो । ~गमन (पु० ) ऐसी स्त्री के साथ संभोग करना अगर - (पु० ) सुगंधित लकड़ी वाला एक वृक्ष । बत्ती (स्त्री०) अगर की बत्ती अगर-फ़ा० (अ०) यदि । करना टाल-मटोल करना अगरी - (स्त्री०) बुरी बात अगर्व-सं० (वि०) गर्वरहित
चे (अ०) यद्यपि मगर
अग़ल बग़ल-फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 इधर उधर 2 आस पास अगला - (वि०) 1 आगे या सामने का 2 आनेवाला अगवाई, अगवानी - ( स्त्री०) स्वागत करना अगवाड़ा - ( पु० ) घर के आगे का हिस्सा
अगवार - (पु० ) 1 पुरोहित या साधु संतों को दिए जाने के लिए
अलग किया गया अन्न 2 ओसाते समय उड़नेवाला हल्का अन्न अगस्त- अं० (पु० ) ईसवी साल का आठवाँ महीना अगस्ति, अगस्त्य -सं० (पु० ) 1 एक ऋषि 2 एक तारा अगहन - ( पु० ) अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास अगहनिया - (वि०) अगहन में होनेवाला धान अगहनी - (वि०) अगहन में तैयार होनेवाला अगाऊ - (वि०) पेशगी
अगाड़ी - I (अ० ) 1 आगे 2 पहले 3 सामने II ( स्त्री० ) किसी वस्तु के आगे का हिस्सा
अगाध - I सं० (वि०) 1 अथाह 2 अपार 3 अज्ञेय II ( पु० ) गहरा छेद
अगिन - I (स्त्री०) आग II ( वि०) अगणित अगिया - (स्त्री०) अगिन घास
अगियाना - (अ० क्रि०) 1 गरम होना 2 उत्तेजित होना अगियार - ( पु० ) पूजा के लिए जलायी जानेवाली आग अगियारी- (स्त्री०) 1 अग्नि में डालने की धूप जैसी वस्तु 2 पारसियों का धर्मस्थल जहां आग जलती रहती है अगिहाना - (पु० ) अग्नि जलाने का स्थान अगुआ - (पु० )
1 आगे चलनेवाला नेता 2 मुखिया
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अग्नि
3 मार्गदर्शक 4 आगे का भाग अगुआई - (स्त्री०) 1 नेतृत्व 2 अगवानी अगुआना - (स० क्रि०) अगुआ बनना II (अ० क्रि०) आगे
जाना
अगुण - I सं० (वि०) 1 निर्गुण 2 अनाड़ी 3 बिना गुण II (पु०) अवगुण । ~वादी (वि०) दोष निकालनेवाला, निंदक
अगुणी -सं० (वि०) गुणहीन
अगरु - I सं० (पु० ) अगर पेड़ II ( वि०) 1 हल्का 2 लघु अगुवा - ( पु० ) आगे आनेवाला
अगूढ़ सं० (वि०) 1 प्रकट, स्पष्ट 2 सहज अगेय- (वि०) जो गाया न जा सके
अगेह - (वि०) बिना घर का
अगोचर - I सं० (वि०) 1 इंद्रियातीत 2 अप्रकट II ( पु० ) 1 वह जो देखा न जा सके 2 ब्रह्म
अगोचरी - (स्त्री०) मन को उन्मन करने की साधना अगोरदार- हिं० + फ़ा० (पु० ) पहरेदार, देखभाल करनेवाला अगोरना-सं० (वि०) पहरा देना, रखवाली करना अभि-सं० (स्त्री०) 1 आग 2 प्रकाश 3 उष्णता 4 जलाने की क्रिया। अस्त्र (पु० ) अग्नयस्त्र; कण (पु० ) चिंगारी; कर्म (पु० ) 1 शवदाह 2 गर्म लोहे से दाग़ना; ~कांड (पु० ) आगज़नी कीट (पु०) जुगनू ~कुंड (पु०) हवन कुंड; -- कोण (पु० ) पूरब और दक्षिण का कोना; ~क्रिया (स्त्री०) शव का दाह कर्म; क्रीड़ा (स्त्री०) आतिशबाज़ी; चक्र (पु० ) आग का गोला; ज I ( पु० ) कार्त्तिकेय, विष्णु II (वि०) अग्नि से उत्पन्न; ~जिह्वा, ज्वाला (स्त्री०) अग्नि की लपट दंड (पु० ) लकड़ी; ~दान (पु० ) चिता में आग देना / लगाना; ~दाह (पु०) दाह-संस्कार; ~दिव्य (वि०) अग्नि के समान तेज वाला; दीपक (वि०) पाचन शक्ति बढ़ाने वाला; - दीपन (पु० ) जठराग्नि का उद्दीपन; निरोधक (पु० ) आग रोक; परीक्षा (स्त्री०) कठिन परीक्षा; पर्वत (पु० ) ज्वालामुखी पहाड़; पीड़ित (वि०) आग से पीड़ित पूजक (पु०) आग की पूजा करनेवाला, पारसी, पूजा (पु० ) आग की पूजा; प्रवेश (पु० ) अग्नि में प्रवेश - प्रशामक (पु०) आग बुझानेवाला; प्रस्तर (पु०) चकमक पत्थर; ~बम अं० (पु० ) आग लगानेवाला बम - मणि (स्त्री०) सूर्यकांत मणि मय (वि०) अग्नि से घिरा हुआ; ~ (पु० ) ( पेट का) मंदाग्नि रोग; ~मुख (पु०) 1 देवता 2 अग्निहोत्री ब्राह्मण; युक्त (वि०) अग्निमय; ~वर्द्धक (वि०) पाचन शक्ति बढ़ानेवाला; ~ वर्षक (वि०) अग्नि वर्षा करनेवाला; वर्षा (स्त्री०) आग बरसना; वाण (पु०) आग लगानेवाला वाण; ~ विद्या (स्त्री०) अग्निहोत्र वीर्य (वि०) अग्नि के समान शक्तिशाली; शमक, शामक (पु० ) आग बुझानेवाला ( इंजन); ~शामन (पु०) आग बुझाना; ~ शिखा (स्त्री०) आग की लौ; -शुद्धि (स्त्री०) आग में तपाकर शुद्ध करना; ~संस्कार ( पु० ) 1 आग जलाना 2 मृतक दाह; सह (वि०) जिस पर अग्नि का प्रभाव न
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