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और ६४ इस
६ मास
(५१) सरी नारकी में ७ दिन, तीजा देवलाको दिन २०मुहूर्त तीजी नारकी में १५ दिन चौथा , १२ दिन २०,, मेथी ,,, १ मास पांचमा , २२॥ दिन मंचमी , , २ ॥
छठ्ठा , ४५ दिन कट्ठी , , ४ , सातमा , ८० दिन सातमी नरक )
आठमा ,, १०० दिन
नौवा दशवा देवलोक सेंकडो मास पांचस्थावर विरह नहीं |११-१२ वा , सेंकडो वर्ष तीन विकलेंद्रिय ) अंतर- । | पहला त्रिक प्रैवेक सं०सेंकडो वर्ष प्रसन्नी तिर्यच । मुहर्त दूसरा , सं०हजारो वर्ष संज्ञी तिथंच पंचे.)
तीसरा , सं० लक्षो ,, न्द्रिय व मनुष्य
चारानुत्तर वैमान पल्यो.अ.माग ____ सर्वार्थसिद्ध पल्यो० सं० भाग.
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सचम् । ___ - - -
थोकडा नं. १४२ - श्री पनवणासूत्र पद ६
नारकीके नैरीये सान्तर उत्पन्न होते हैं या निरन्तर ? सान्तर भी उत्पन्न होते हैं और निरंतर भी उत्पन्न होते हैं. एवं पांचस्थावरवर्जके शेष १६ दंडकके जोव समझना, एवं सिद्ध भगवान् । और पांचस्थावर निरंतर उत्पन्न होते हैं. इसी माफिक
वैमानिकके दंडकमें नौवा देवलोकसे सर्वार्थसिद्धतक १-२ यावत संख्याते उत्पन्न होते है । सिद्धावस्थामें १-२ यावत् १०८ उत्पन्न होते हैं।