Book Title: Shighra Bodh Part 11 To 15
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 448
________________ राजा प्रदेशीने अज्ञान दशा में बहुत ही पापकर्म किये थे परन्तु नः सम्यक्त्वरूपी मुण श्रेणीका भावलम्बन किजा उसी समबसे अन्तिम क्षमारूपी वसे सर्व असुभ कर्मोका नाश कर भाप सौधर्म देवलोकके अंदर साढा बारह लक्ष योजसके विस्तारवाले सूरियाम नामका वैमानके अधिपति सूरिवाम नामके देवपणे उत्पन्न हुवा था मुरियाभ देवकि रूद्धि और वैमानका विस्तार अन्य थोकड़ा द्वारा लिखा जावेगा। . भगवान-गौतम स्वामिसे केहते हुवे कि हे गौतम पूर्व भवमें अपरिमित्त क्षमा प्रदेशी रानाने कि थी उसी प्रदशी रानाका जीव यह मुरियाभ देव है जो कि अबी नाटिक करके गया है यह महा ऋद्धि ज्योति कान्ति प्राप्त होनेका कारण सम्यक्त्व सहित क्षमा ही है। हे भगवन् यह सुरियाम देव देवभवसे काहा जावेगा ? हे गौतम महाविदह क्षेत्रमें दृढपइनो होके मोक्षमें जावेगा। ॥ इतिशम् ।। प्रश्नोत्तर नम्बर ५ सूत्र श्री भगवतीजी शतक १ उद्देशा ६ (रोहा मुनिके प्रश्न) सर्वज्ञ भगवान वीर प्रभुके शिष्य जो कि प्रकृतिका भद्रीक और प्रकृतिका विनीत होनेसे स्वाभावसे ही क्रोष मान माया लोम सवाल थे और भी अनेक गुण संयुक्त ऐसा " रोहा नामका युनि.आगे आने शाम ध्यानमें सदैव रमनता करता था। एक .

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