Book Title: Shighra Bodh Part 11 To 15
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 454
________________ (८०) जानी रह सका है। इसी माफीक वायुके आधार पाणी और पका पाणीके माधार पृथ्वीही हुई है यावत् जीवकर्मोकों संग्रह कीया है। : (अ) हे भगवान् । सूक्षम अपकाय हमेशा वर्षती है। -: (उ) हे गौतम । सुक्षम अपकाय हमेशा वर्षती है वह उर्ध्व बधो तीरच्छी दिशामें हमेशा वर्षी है । परन्तु जैसे स्थूल अपकाय दीर्घ काल ठेरती है इसी माफीक सूक्ष्म अपाय दर्घकालनहीं ठेरती है । सुक्ष्म केहनेका कारण यह है कि वह स्थूल द्रष्टीवालोंके द्रष्टीगोचर हो न ही शक्ती है परन्तु है. एक बार अपकायकि जातीमे । रात्री समय अधिक ठेरती है दिनके अन्दर सूर्यका आताप होनेसे शीघ ही विध्वंस हो जाती है वास्ते साधु साध्वी तथा सामायिक पौषदमें श्रावक रात्री समय खुले आकाशमें नही ठेरते है अगर कारणात् जाना होतो भी कम्बली आदिसे शरीर अच्छांदन करते है । वे अहिंसात्मीक धर्मका पालन करते है।

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