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[१९] (१२) शरीरद्वार-सशरीरमे समु० जीव और २४ दंडक प्रयोगीवत १७ भांगा एवं तेन शरीरका ५७ एवं कारमाण शरीरका ९७ मांगां औदारीक शरीर समु० जीव और १० दंडक जिस्मे बासु० जीव और मनुष्यका तीन तीन भांगा ६ (केवली अपेक्षा) और नव दंडक, एक या बहूबचनापेक्षा आहारीक है । वैक्रय शरीर प्रमु० नीव और १७ दंडक माहारिक शरीर समु० जीव ओर मनुष्य, एक या बहू वचनापेक्षा आहारीक है तथा मशरीर समु० बीच ओर सिद्ध अनाहारिक है कुल भेगा १७७ द्वारम् । • (१३) पर्याप्तीद्वार-आहार पर्याप्ती शरीर पर्याप्ती इन्द्रिय पर्याप्ती श्वासोश्वास पर्याप्तो भाषा पर्याप्ती मन पर्याप्ती एवं के पर्याप्ती समु० जीव और म्व म्व दंडकापेक्षा एक या बहू बचनापेक्षा माहारीक है परन्न ममु. जीव ओर मनुष्यमे एक बचनापेक्षा स्याताहारीक स्यातनाहारीक है ओर बहूत वचनापेक्षा सीन तीन भांगा होता है कारण केवली समुदधात समय तीन समयनाहारीक भी होते है । भांगा ३६ । आहार अपर्याप्तो समु. नीव ओर २४ दंड क. एक या बहू वचनापेक्षा अनाहारी है शरीर भार्याप्ती स्यात् आहारीक स्यातनाहारीक उपरकी च्यार अपबोप्तीमे नारकी देवता ओर मनुष्य इन्ही १५ दंडकोंमे छे छे भांगा अहेना ९० शेषमे समु. जीव पांच स्थावर वर्नके तीन तीन भांगा बोना १२, भाषा और मनापर्याप्ती १५ दंडकमे छे छे भांगा ९० शेषमे तीन तीन भांगा १२ सर्व स्थान पर एक बचन स्याताहारीक सात् मनाहारीक बहू वचनापेक्षा उपर बताये मांगे होते हैं एवं ११.१६०-१५-१८०-१९कुल भांगा १००. हुवे इति द्वारम् ।