________________
१३१
س س س
२१
म० अपर्याप्ता
२३ ३६ म० अ० अनाहारीक मनुष्य अ० आहारी म० पर्याप्तामें
१ १४१४ १२ म०प० अनाहारीक म. प. आहारीक देवतावों में देवतावों अपर्याप्ता देव० अ० अनाहारीक दे० अ० आहारीक देव० पर्याप्ता देव० ५० आहारीक सिद्धभगवानमें ॥ सेवंभंते सेवंभंते तमेव सच्चम् ।।
or orm womarrrrrr...
m arrer arre us wearcuuy u aur
२३
ه س س س
ه ه ه
२७
थोकडा नं. ११
--*ak
(बहू श्रुतिकृत) अलद्धिया उसे केहते है कि जिस्मे वह वस्तु न मीले जेसे मतिज्ञानका अलद्धिया केहनेसे जिन्ही जीवोंमे मतिज्ञान न मीलता हो जैसे पेहले तीजे तेरवे चौदवे इन्ही च्यार गुणस्थानमे मतिज्ञानका अभाव है इसी माफीक सर्व स्थानपर समझना ।