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(१०) हे गौतम-आपके दुस्मन-एक नायक च्यार उमराव पांच पंच कोन है और कीसकों पराजय कीया हैं ?
(उ०) हे भगवान् दुस्मनोंका नायक एक 'मन " है यह आत्माका निज गुणको हरण करता है इन्हीको अपने कब्जे कर लेनेसे 'मन' के च्यार उमराव क्रोध मान माया और लोभ यह मेरे आज्ञाकारी बन गये हैं जब इन्ही पांचोकों आज्ञाकारी बना लिये तब हीसे पांच पंच 'पांच इन्द्रिय' है उन्होंका सहनमें पराजय कर' लिया, बस इन्ही १० योद्धोंको जीत लेनेसे सर्व दुस्मन अपने भादेशमें हो गये हैं वास्ते म्है दुस्मनोंके अन्दर निर्भय विचरता है।
- यह उत्तर श्रवण करने पर देवता विद्याधर और मनुष्योंकों बड़ा ही आनन्द हुवा है और भगवान् केशीश्रमण बोलते हुवे है प्रज्ञावन्त आपने मेरा प्रश्नका अच्छा युक्तिपूर्वक उत्तर दीया परन्तु मुझे एक प्रश्न और भी करना है ?
गौतम-हे महाभाग्य आप.अनुगह कर अवश्य फरमावे..
(४) प्रश्न-हे गौतम-इस आरापार संसारके अन्दर बहुतसे जीव निवड़ बन्धनरूपी पासमें बन्धे हुवे दृष्टीपीचर हो रहे है तो आप इस पाससे मुक्त होंके वायुकि माफिक अप्रतिबन्ध विहार करते हो ? ..(उ०) हे भगवान्-यह पाप्त बड़ी भारी है. परन्तु है. एक तीक्षण धारावाला शस्त्रके उपायसे इन्ही पासकों छेदभेद कर मुक्त दुवा अप्रतिबन्ध विहार करता हूँ। ___(प्र०) हे गोतम आपके कोनसी. पास और कोनसे. शस्त्रसे