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. हे गौतम यह आपने ठीक कहा परन्तु एक और भी प्रभ मुझे करना है । गौतम-फरमावो भगवान। ... (१२) प्रश्न-हे गौतम यह अनादि प्रवाह रूप संसारके मंदर बहुतसे प्राणीयों शरीरी और मानसी दुःखोंसे पिडीत हो रहे है उन्होंके लिये आप कोनसा स्थान मानते हो कि जहांपर पहुंच जानेसे फीर जन्म मरण ज्वाररोग शोककि वेदना.बीलकुल ही न होने पावे। . (उ०) हे भगवान इस लौकमें एक एसा भी स्थान है कि नहापर पहुच जानेके बाद किसी भी प्रकारका दुःख नही होता है।
() हे गौतम ऐसा कोनसा स्थान है ?
(उ०) हे मगवान-जो लोकके अग्र भागपर नो निवृत्तिपुर (मोक्ष) नामका स्थान है वहां पर सिद्धावस्थामें पहुंच जाने पर किसी प्रकारका जन्म ज्वार मृत्युवादि दुःख नहीं है अर्थात कर्मरहित होकर वहा जाते है वास्ते अब्बावाद मुखोंमें वीराजमान हो जाते है। - केशीस्वामि-हे गौतम आपकि प्रज्ञा बहुत अच्छी है और अच्छी युक्तियों द्वारा आपने यह १२ प्रश्नोंका उत्तर दीया है। परिषदा भी यह १२ प्रश्न सुनके शांत चित्त. और वैरागरसका पान करते हुवे जिन शासनकी जयध्वनिके शब्द उच्चारण करते हुवे विसर्जन हुई।
शासनका एक यह भी कायदा है कि जब तीर्थकरोंका शासन प्रचलित होता है तब पूर्व तीर्थकरों के साधु विचरते है वे जबतक
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